भास्कर न्यूज | अमृतसर कृष्ण जन्माष्टमी सनातन धर्म का प्रमुख त्यौहार है जो भगवान कृष्ण के जन्म की खुशी के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आधी रात में रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इसलिए भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह तिथि 15 अगस्त रात 11 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर 16 अगस्त रात 9 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में भक्तजन असमंजस में हैं कि भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कौन से दिन मनाएं। जन्माष्टमी के दिन भक्त व्रत रखते हैं, मंदिरों को सजाते हैं और आधी रात को भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा करते हैं। इस दिन दही हांडी का उत्सव भी मनाया जाता है। वहीं पंडित सोहन लाल शास्त्री के अनुसार जन्माष्टमी की तारीख 15 अगस्त रात में लग रही है और अगले दिन 12 बजे से पहले ही समाप्त हो जा रही है। वहीं हिंदु धर्म में उदया तिथि के अनुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त को ही मनाई जाएगी। इस साल भगवान श्रीकृष्ण का 5252वां जन्मोत्सव है। कृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त को मनाई जाएगी। इसमें पूजा का शुभ मुहूर्त देर रात 12:04 से 12:47 बजे तक रहेगा। चंद्रोदय समय 11:32 दोपहर और अष्टमी तिथि 15 अगस्त को रात 11:49 से आरंभ होकर 16 अगस्त रात 9:34 पर समाप्त होगी। जबकि रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त शाम 4:38 बजे शुरू होकर 18 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र समाप्त 18 अगस्त को सुबह 3:17 पर समाप्त होगा। इसलिए जन्माष्टमी का व्रत कई लोग सूर्योदय से लेकर रात 12 बजे तक रखते हैं तो कई लोग इस व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद करते हैं। वहीं कुछ कृष्ण भक्त रोहिणी नक्षत्र, अष्टमी तिथि समाप्ति होने के बाद व्रत का पारण कर लेते हैं। इस व्रत में फलाहारी भोजन के अलावा कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर शहर के सारे मंदिरों को रंग बिरंगी रोशनी से सजेंगे।