‘संगिनी सहेली’:महिलाओं के लिए महिलाओं की पहल जो बदल सकती है पूरा समाज!

कल जुलाई की 4 तारीख थी यानी दुनिया के सबसे ताकतवर लोकतंत्र अमेरिका का स्वतंत्रता दिवस। खुद को दुनियाभर में मानवाधिकारों का प्रवक्ता बताने वाले इस देश के साथ महिला अधिकारों से जुड़ी एक अजब विडंबना चस्पा है. दरअसल देश का स्वरूप अख्तियार करने के 100 साल बाद ही अमेरिकी समाज अपने यहां की महिलाओं को वोटिंग का अधिकार दे पाया था. इसके उलट भारत में आजादी मिलने के साथ ही महिलाओं को यह अधिकार मिल गया था. भारत में महिला सशक्तिकरण की इस यात्रा में सरकार के साथ-साथ कई संगठनों की भी अहम भूमिका रही है. ऐसा ही एक गैर-सरकारी संगठन है ‘संगिनी सहेली’. जमीनी स्तर पर महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए समर्पित इस संगठन की 5वीं वर्षगांठ आज के ही दिन दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में मनाई गई. इस कार्यक्रम में एक नारा एक सुर से गूंजा की महिलाओं को पहेली नहीं बल्कि सहेली बनाए जाने की आवश्यकता है और ऐसा करके ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महिला केंद्रित विकास को नयी दिशा दी जा सकती है. इस अवसर पर उपस्थित मुख्य अतिथि और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व सांसद बैजयंत पांडा ने कहा, “अपने पैर पर महिला खड़ी होती है, तभी परिवार खड़ा होता है. संगिनी सहेली इस दिशा में जो काम कर रही है, वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्पप्न को साकार करने की योजना का हिस्सा है.” इस अवसर पर सांसद बांसुरी स्वराज ने संगिनी सहेली के महिला सशक्तिकरण की दिशा में किए जा रहे कई कामों की सराहना करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महिला केंद्रित विकास का सपना है और संगिनी सहेली इस दिशा में बेहतरीन काम कर रही है.” इस विशेष आयोजन का संचालन एवं संयोजन संगिनी सहेली की संस्थापक और भाजपा महिला मोर्चा, दिल्ली की महासचिव सुश्री प्रियल भारद्वाज ने किया, जो पिछले एक दशक से महिला केंद्रित विकास और स्वयं सहायता समूहों (SHG) के सशक्तिकरण में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं. इस अवसर पर प्रियल भारद्वाज ने कहा, “यह यात्रा कभी दान पर नहीं, बल्कि एकजुटता पर आधारित रही है। हमारी कोशिश से एक सहेली से हज़ारों सहेलियां अब हमारे साथ हैं. हमने साबित कर दिया कि जब महिलाओं पर नेतृत्व का भरोसा किया जाता है, तो पूरा समाज प्रगति करता है.” उन्होंने आगे कहा, “सिर्फ अच्छी नीयत काफी नहीं होती, उन्हें मजबूत ढांचे की भी ज़रूरत होती है. ढांचा सिर्फ इमारतें या इंटरनेट नहीं होता- यह विश्वास, प्रक्रिया और वे लोग होते हैं जो हमेशा साथ खड़े रहते हैं.” इस मौके पर पद्मश्री से सम्मानित डॉ. नीरज भाटला ने प्रियल भारद्वाज की कोशिशों की तारीफ करते हुए कहा, “महिलाओं को आगे बढ़ाना समाज की जिम्मेदारी है और प्रियल यह काम बखूबी कर रही है.” उड़ान ट्रस्ट की संस्थापक व द इंडियन एक्सप्रेस की पूर्व उपाध्यक्ष अनन्या गोयनका ने भी संगिनी सहेली की पहल की तारीफ करते हुए कहा, “जब महिलाएं एक दूसरे का साथ देते हुए उनके साथ खड़ी होती हैं, तभी सबका साथ सबका विकास संभव होता है.” बॉलीवुड अभिनेत्री और मॉडल ऋषिता भट्ट ने भी संगिनी सहेली की तमाम कोशिशों की सराहना करते हुए कहा कि वो अब महाराष्ट्र में संगठन के विस्तार की कोशिशों का सक्रिय हिस्सा होंगी. इस आयोजन के दौरान संस्कृत भारती के विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुति दी गई. इसके अलावा स्वयं सहायता समूहों द्वारा संचालित एक विशेष प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया. ‘संगिनी सखी थ्रू द इयर्स’ नामक प्रभाव फिल्म दिखाई गई, उत्कृष्ट SHG लीडर्स, शिक्षकों और विद्यार्थियों का सम्मान किया गया और संगिनी सखी की युवा टीमों को विशेष मान्यता दी गई। इसके अलावा, कार्यक्रम की शुरुआत में अस्मिता थिएटर ग्रुप द्वारा नुक्कड़ नाटक ‘दस्तक’ की प्रस्तुति हुई, जिसके जरिए संदेश देने की कोशिश की गई कि महिलाओं के खिलाफ अत्याचार को सहा नहीं जा सकता और पूरे समाज को अब अत्याचारों के खिलाफ उठ खड़ा होना होगा। गौरतलब है कि महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में काम करते हुए संगिनी सहेली ने अभी तक 25 लाख से ज्यादा सैनेटरी पैड बंटवाए हैं. पाँच हजार से ज्यादा महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, डाईंग और माइक्रो-उद्यमिता में प्रशिक्षित किया है. इसके अलावा संगठन लगातार ब्रेस्ट कैंसर जागरुकता शिविर और नेत्र जांच शिविर आयोजित कर रही है। जरुरतमंद महिलाओं को कानूनी सहायता प्रदान करने का काम भी संगठन करता है. कार्यक्रम के आखिर में धन्यवाद देते हुए प्रियल भारद्वाज ने कहा, “जैसे-जैसे भारत अपनी आज़ादी के 100 साल पूरे करने की ओर बढ़ रहा है — हमारा सपना जवां हो रहा है. और ये सपना है कि जिस किसी महिला के साथ हम काम कर रहे हैं — वो सिर्फ कमाएं नहीं, बल्कि सीखे भी. वो सिर्फ बातें ना करें, बल्कि खूब पढ़े भी.

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