देवकी की आठवीं संतान के रूप में जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लेकर अपनी लीलाओं के माध्यम से कई संदेश दिए। कंस के डर से वासुदेव श्रीकृष्ण को गोकुल में नंद और यशोदा के घर पहुंचा आए। आकाशवाणी से कंस को पता लग गया कि उसका काल नंद गांव में जन्म ले चुका है। विश्व धर्मार्थ सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रख्यात कथा वाचक आचार्य रामकुमार शुक्ल ने श्रीमद् भागवत महापुराण कथा के पांचवें दिन यह उद्गार व्यक्त किए। एचईसी सेक्टर-3 में श्रीमद्भागवत कथा में उन्होंने कहा कि नंद गांव में मां यशोदा की गोद में श्री कृष्ण का लालन पालन हुआ और अपनी बाल लीलाओं से उन्होंने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। उन्होंने कहा कि यशोदा ने अपने लल्ला कान्हा को बड़े ही लाड प्यार से पाला। श्रीमद्भागवत कथा में पूतना वध एक महत्वपूर्ण प्रसंग है। श्रीकृष्ण ने राक्षसी पूतना को वध किया। घर-घर जाकर गोपियों के यहां से माखन चुराने वाले बालकृष्ण ने राक्षस बकासुर का वध किया, कालिया नाग का दर्पण किया और युवा होते ही अपने मामा कंस का वध किया। कथा व्यास रामकुमार शुक्ल ने चीर हरण लीला और कालिया नाग पर खड़े होकर मुरली बजाने वाले कृष्ण ने इंद्र के अहंकार को तोड़ने के लिए गोवर्धन को उंगली से उठाकर बृजवासियों को गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की प्रेरणा दी। इंद्र को जब मालूम पड़ा कि उसकी पूजा न कर एक पर्वत की पूजा की जा रही है तो उसे गुस्सा आया। उसने 7 दिन 7 रात लगातार बारिश कर बृजवासियों को खतरे में डाला तो भगवान कृष्ण ने पर्वत को उंगली पर उठाकर बृजवासियों की रक्षा की। संगीतमय कथा के प्रसंग सुनकर श्रोता भाव-विभोर हो गए।