संजीवनी बिल्डकॉन के एमडी नंदी की दोनों पत्नियों की सजा बरकरार

झारखंड हाईकोर्ट ने अवमानना के एक मामले की सुनवाई करते हुए राज्य के उच्च शिक्षा निदेशक और रांची विवि के रजिस्ट्रार को मंगलवार को अदालत में सशरीर तलब किया है। हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने पूर्व में दिए गए आदेश का अनुपालन नहीं करने पर कड़ी नाराजगी जताते हुए यह निर्देश दिया। अदालत ने मौखिक कहा कि सोमवार तक आदेश का अनुपालन नहीं होने पर मंगलवार को रांची एसएसपी भी अदालत में मौजूद रहें, ताकि, उच्च शिक्षा निदेशक और रांची विवि के रजिस्ट्रार को वहीं से जेल भेजा जा सके। हालांकि, अदालत ने कहा कि अगर सोमवार तक आदेश का अनुपालन हो जाता है तो उच्च शिक्षा निदेशक और रांची विवि रजिस्ट्रार को मंगलवार को अदालत में हाजिर होने की जरूरत नहीं है। मालूम हो कि प्रार्थी उदय कुमार मांडर कॉलेज के गणित विभाग में व्याख्याता के पद पर कार्यरत हैं। पंचम और छठा वेतनमान का लाभ नहीं दिए जाने पर प्रार्थी ने करीब 18 माह पहले हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए उनका पे फिक्सेशन करने और पंचम व छठे वेतनमान का लाभ देने का आदेश दिया था। लेकिन विवि ने अदालत के आदेश का अनुपालन नहीं किया। इसके बाद प्रार्थी ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की थी। उस याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से प्रार्थी को सभी तरह का लाभ देने की बात कही गई थी। इसके बाद अदालत ने अप्रैल 2025 में अवमानना याचिका को ड्रॉप कर दिया था। हालांकि, अदालत ने प्रार्थी को छूट दी थी कि अगर आदेश का अनुपालन नहीं हुआ तो वह फिर अदालत आ सकता है। इसके बाद प्रार्थी ने दुबारा अवमानना याचिका दाखिल की। इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने उच्च शिक्षा निदेशक और रांची विवि के रजिस्ट्रार को सशरीर तलब किया है। हाईकोर्ट का आदेश नहीं मानने पर उच्च शिक्षा निदेशक और रांची विवि के रजिस्ट्रार तलब लीगल रिपोर्टर | रांची जमीन और फ्लैट के नाम पर लोगों से करोड़ों की ठगी करने के मामले में सजायाफ्ता संजीवनी बिल्डकॉन के एमडी जेडी नंदी की दोनों प|ी अनामिका नंदी (54) और अनिता नंदी (57) की सजा को अदालत ने बरकरार रखा है। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसएन तिवारी की अदालत ने दोनों की ओर से दाखिल क्रिमिनल अपील को सुनवाई पश्चात खारिज कर दी है। दोनों अभियुक्तों को सीबीआई के विशेष न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने बीते 25 जनवरी को उक्त मामले में दोषी करार कर तीन साल कैद की सजा सुनाई थी। साथ ही 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया था। यह सजा कांड संख्या आरसी 8/2013 मामले में सुनवाई गई थी। इस सजा को दोनों ने बीते 20 फरवरी को सीबीआई की विशेष अदालत में चुनौती दी थी। दोनों पर अभिजीत विश्वास नामक व्यक्ति से कागजी जमीन दिखाकर साल 2009 में मोटी रकम ऐंठ ली थी। फर्जीवाड़े को लेकर पीड़ित ने नगड़ी थाना में 20 अप्रैल 2012 को नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई थी। हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने मामले को टेक ओवर करते हुए एक जुलाई 2013 को प्राथमिकी दर्ज कर जांच प्रारंभ की थी। बता दें इस मामले में दोनों अभियुक्त 5 साल तीन महीने से अधिक शुरुआत में ही जेल काट चुकी हैं।

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