संत जब जीवन में आते हैं तब भक्ति प्राप्त होती है: संत दिग्विजय राम

चित्तौड़गढ़ | भक्तों को कष्ट देने से व्यक्ति का नाश हो जाता है। उदाहरण के लिए रावण, कौरव, कंस हर जीव अपने कर्मों का फल भोगता है, एक पिता के चार औलाद होती है, लेकिन सबकी गति अलग-अलग होती है यह सब कर्मों का खेल है, किए गए कर्मों का फल जीव को अवश्य भोगना पड़ता है। यह बात श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव ज्ञान यज्ञ के चतुर्थ दिन संत दिग्विजय राम महाराज ने राधा कृष्ण वाटिका गंगापुर में कही। कथा में मुख्य यजमान नाथूलाल मूंदडा परिवार ने आरती की। कथा का 28 दिसंबर तक दोपहर 1 से 5 बजे से तक जारी हैं। बुधवार को माता की चौकी का विशेष आयोजन होगा। 7:30 बजे गायक कुंदन मिश्र मुंबई द्वारा प्रस्तुतिया दी जाएगी। चतुर्थ दिवस पर कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा।

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