संसार कितना भी आधुनिक हो जाए पर एक सत्य परिवर्तित रहता है वह जीवन मुक्त सतगुरु की शरण-बाबा ईश्वर शाह साहिब
अमरकंटक। संत चरण जहां धरते हैं वह स्थान हरियाला होए जाते हैं। पवित्र नगरी अमरकंटक की यह पावन धरा जहां मां नर्मदा कि कल कल बहती धारा ऋषि मुनियों की तपोभूमि स्वयं भक्ति देवत्व का गुणगान करती है भजन सिमरन की कमाई वाले पूरण सतगुरु की भक्ति श्रद्धा भाव प्रेम भाव धार करने से अनंत असीम पुण्य फल प्राप्त होते हैं आप जितना अपने बुद्ध चित् को पूरण सतगुरु की भाव भक्ति से भरते हो आपकी दक्षा उतनी आनंदित होती है संसार कितना भी आधुनिक हो जाए पर एक सत्य परिवर्तित रहता है जो परिवर्तन रहित है वह है जीवन मुक्त सतगुरु की शरण उक्त आशय के उदगार हरिराया सतगुरु बाबा ईश्वर शाह साहिब जी महाराज हरे माधव सत्संग में अपने हजारों अनुयायियों भक्तों संबोधित करते हुए कहे। समय के आरंभ से ही जीवन मुक्त सत्गुरुओं का महतम बढ़ चढकर गाया गया है चाहे वह निमित्त अवतारों का जीवन मुक्त सत्गुरुओं की शरण में जाना हो या फिर भगवान शिव जी का गुरु गीता में माता पार्वती जी को पूरे संतन सतगुरु की अनंत महात्म वर्णन हो भगतिमय श्री वचन श्रवण कर श्री दर्शन कर संगठनों ने जीवन का असल सर एवं घाट में दिव्य प्रकाश पाने की सांची युक्ति पाई। स्थावर तीर्थ भी जंगल तीर्थ चलत तीर्थ सतगुरु की चरण रज पाकर ही अपनी मैल धोते हैं जीवन मुक्त सद्गुरु जी धारा जिस स्थान पर चरण धरते हैं तो जहां-जहां उनके पावन श्री चरण वह थांव तीरथ हो जाते हैं जीवन मुक्त सद्गुरु वह दिव्य है चेतना है उनका प्रत्येक कदम अपार करुणा निश्छल प्रेम भक्ति ज्ञान और शुद्ध प्रकाश से परिपूर्ण होता है जीवन मुक्त सद्गुरु की उपस्थिति मात्र से वह भूमि पवन पतित हो जाती है ना वह किसी जल की आवश्यकता रहती ना विशेष कृतियों की आवश्यकता होती उनका दिव्या सोहेल दर्शन उनका स्पर्श उनकी प्रभु मर वाणियां मोक्ष का द्वार खोलते हैं। बाबा ईश्वर शाह ने अपने हरे माधव सत्संग सभा के विशाल भक्त श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए गरुड़ पुराण भविष्य पुराण का भी उल्लेख किया तथा तुलसीदास जी की चैपाई बिनु सत्संग विवेक न होई का भी उल्लेख किया तथा उन्होंने भगवान श्री राम चंद्र जी के वशिष्ठ एवं विश्वामित्र गुरुदेव भगवान का उल्लेख किया उन्होंने अपने समर्थकों का अनुयायियों का भक्त श्रद्धालुओं का पवित्र नगरी अमरकंटक के प्रवास के दौरान वटवृक्ष के नीचे की साधना के दौरान हुई अनुभूति में साधु संतों के मिलन का उल्लेख किया आगे कहां की अमरकंटक नगरी में संत का कमंडल है तथा समुद्र मंथन से निकला 14 रत्न में से एक कल्पवृक्ष भी यहां पास ही है उन्होंने कई महत्वपूर्ण जानकारी से अपने श्रद्धालुओं को अवगत कराया।