संस्कार, सफलता, शांति तभी आएगी जब भागवत गीता को जीवन में उतारेंगे : मधुसूदन

गीता जयंती महोत्सव कार्यक्रम के तहत बुधवार को शहर के विभिन्न मंदिरों में गीता का पाठ किया गया। इस्कॉन द्वारा शांति और गीता ज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए विशेष यज्ञ का आयोजन किया गया। कांके रोड स्थित इस्कॉन मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में 300 से अधिक श्रद्धालुओं ने गीता के श्लोक का उच्चारण किया। इस्कॉन रांची द्वारा 21 हजार भागवत गीता वितरण करने का संकल्प लिया गया। प्रबंधक मधुसूदन मुकुंद दास ने कहा कि हमारे जीवन में संस्कार, सफलता, शांति तभी आएगी जब हम भगवत गीता की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारेंगे। हम सभी देशवासियों का कर्तव्य है कि श्रीमद् भागवत गीता के इस दिव्य ज्ञान को खुद पढ़ें और दूसरों को भी भागवत गीता पढ़ने के लिए प्रेरित करें। जयंती के समापन पर श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद वितरण किया गया। इधर, चौधरी बागान स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवा केंद्र में विशेष आयोजन किया गया। केंद्र संचालिका निर्मला बहन ने कहा कि भारत कभी विश्व गुरु था और वर्तमान में भी आशा की जा रही है कि जल्द ही भारत विश्व गुरु बनेगा। भारत पुनः विश्व गुरु के पद पर कब और कैसे आसीन होगा भविष्य के गर्भ में है। श्रीमद् भागवत गीता को सर्वशास्त्रमई शिरोमणि कहा जाता है। गीता सभी शास्त्रों की जननी है, परंतु गीता को सभी धर्म के लोग स्वीकार नहीं करते हैं। इटकी रोड : वैष्णो देवी मंदिर में अखंड हरि-कीर्तन और महाभंडारा हुआ इटकी रोड बांस टोली स्थित वैष्णो देवी मंदिर में गीता जयंती पर अखंड हरि-कीर्तन की शुरुआत हुई। गुरुवार को दोपहर एक बजे महा भंडारे के साथ इसका समापन होगा। हंटरगंज से आई मशहूर महाकालेश्वरी कीर्तन मंडली के सदस्यों बसंत लाल माधव, रविंद्र शर्मा, कालेश्वर यादव और सूर्य देव यादव ने अखंड कीर्तन की शुरुआत की। मंदिर के पुजारी सुबोध कुमार मिश्रा, सरयू राय शर्मा, केपी यादव, जयप्रकाश सिंह, रमाकांत शर्मा, शिव किशोर शर्मा, संतोष शर्मा, सत्यानंद शर्मा, विजय गुप्ता, चंदन विश्वकर्मा, सुरेंद्र शर्मा, माधुरी देवी ने आयोजन में सहयोग दिया। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा-कर्म करते जा, फल की चिंता न कर : साहू कांके होचर स्थित नेताजी एकेडमी उच्च विद्यालय में गीता जयंती का आयोजन किया गया। श्रीमद्भागवत गीता की पूजा-कर आरती उतारी गई। प्रधानाचार्य डॉ. वीरेंद्र साहू ने कहा कि द्वापर युग में श्रीमद्भागवत गीता समस्त मानव के जीवन जीने के वास्तविक संदर्भ को भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कुरुक्षेत्र के युद्ध क्षेत्र में अपने विराट स्वरूप को प्रकट करते हुए अर्जुन से कहा कि कर्म करते जा, फल की चिंता न कर। जब-जब धर्म की हानि होती है, जब अधर्मी और अभिमानी बढ़ते हैं, तब भगवान स्वयं मानव का रूप धारण करके विधर्मियों का नाश करते हैं। गीता जयंती का महत्व भगवान श्रीरामजी से भी जुड़ा है। इस्कॉन ने 21 हजार भागवत गीता वितरण करने का लिया संकल्प

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