सक्ती जिले में आदिवासी जमीन की अवैध खरीद-फरोख्त का मामला चार सालों से जांच के इंतजार में है। साल 2021 में स्थानीय नागरिक मनोज अग्रवाल ने आरोप लगाया था कि कुछ सामान्य वर्ग के लोगों ने गोंड जनजाति के व्यक्तियों के फर्जी दस्तावेज बनवाकर आदिवासी जमीन खरीदी है। शिकायत पर अनुसूचित जनजाति आयोग ने 2024 में जिला कलेक्टर को पत्र भेजा था। आयोग ने मामले की विस्तार से जांच और आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए थे। लेकिन अब तक न तो दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है। न ही विवादित भूमि के स्वामित्व को लेकर स्थिति स्पष्ट की गई है। एक ही जमीन की दोबारा रजिस्ट्री दस्तावेजों के अनुसार, 2018 में जमीन की रजिस्ट्री गोंड जनजाति के नाम पर हुई थी। विक्रेताओं के आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र और राजस्व अभिलेख में स्पष्ट रूप से गोंड जाति का उल्लेख था। लेकिन 2021 में कथित रूप से इन्हीं व्यक्तियों के दस्तावेज बदलकर उन्हें सामान्य वर्ग में दर्शाया गया। उसी आधार पर भूमि की दोबारा रजिस्ट्री कर दी गई। इस पूरे मामले की शिकायत अनुसूचित जनजाति आयोग तक पहुंची। लेकिन इसके बावजूद अब तक कार्रवाई का कोई ठोस संकेत नहीं मिला है।