सट्टा एप केस:ईओडब्ल्यू के तीन चालान, किसी में आईपीएस का नाम नहीं, 4 माह पहले CBI को ट्रांसफर, 4 पर छापे

महादेव सट्‌टा एप इंटरनेशनल स्तर पर चर्चा में आने के बाद से ही पूर्व मुख्यमंत्री के करीबियों के अलावा कई बड़े आईपीएस अफसरों के नाम चर्चा में थे। अफसरों को प्रोटेक्शन मनी यानी सुरक्षा धन मिलने का हल्ला था। ईडी ने इसकी जांच की। ईडी के प्रतिवेदन पर ईओडब्ल्यू ने जनवरी 2024 यानी सवा साल पहले अनुपातहीन संपत्ति, हवाला और मनी लांड्रिंग का केस दर्ज किया था। ईडी के प्रतिवेदन पर कई अफसरों के नाम थे। ईओडब्ल्यू ने उनके प्रतिवेदन पर जांच के बाद एक दर्जन से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया और तीन बार अलग-अलग लोगों के खिलाफ चालान तो पेश किया। लेकिन पूरी कार्रवाई पुलिस के निचले स्तर तक ही सीमित थी। चार माह पहले ये केस सीबीआई को सौंपा गया। खुफिया जांच के बाद सीबीआई ने बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री और उनके करीबियों समेत चार चर्चित आईपीएस के अलावा दो एएसपी रैंक के अफसरों पर छापे मारे। ईओडब्ल्यू को ईडी ने जो प्रतिवेदन पेश किया था, उसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके कई करीबियों के अलावा विधायक देवेंद्र यादव और आधा दर्जन आईपीएस अफसरों व एएसपी के नाम थे। ईओडब्ल्यू पिछले साल केस दर्ज करते ही ताबड़तोड़ छापेमारी शुरू की और महादेव सट्‌टा एप के संचालन के मुख्य किरदार एएसआई चंद्रभूषण वर्मा और दो आरक्षक यादव बंधुओं सहित कुछ कारोबारियों को पकड़ा। उनके खिलाफ चालान भी पेश किया गया, लेकिन उसके बाद ईओडब्ल्यू की कार्रवाई एक तरह से थम गई थी। सीबीआई ने केस दर्ज करने के बाद चार महीने पहले ही खुफिया तौर पर तहकीकात शुरू कर दी थी। प्रारंभिक जांच के बाद ही छापे की कार्रवाई की गई। डीआईजी से विवाद की आवाज बाहर तक आई आईपीएस प्रशांत अग्रवाल के बंगले में तलाशी को लेकर विवाद हुआ। इसकी आवाजें बाहर तक सुनाई दीं। सीबीआई की टीम जब डीआईजी प्रशांत अग्रवाल के स्वर्णभूमि स्थित बंगले पहुंची तो वे मौजूद थे। सीबीआई की टीम ने उनके कंप्यूटर को ऑन किया और उसमें मिले दस्तावेजों के संबंध में पूछताछ की। इसी दौरान आईपीएस नाराज हो गए। इसे लेकर उनकी सीबीआई के अफसरों के साथ बहस हुई और विवाद की आवाजें बाहर तक सुनाई दीं। खबर है कि यहीं सीबीआई को कुछ डिजिटल दस्तावेज मिले हैं। उन्हें परीक्षण के लिए जब्त कर लिया गया है। कहीं नहीं मिले एएसपी अभिषेक माहेश्वरी महादेव सट्‌टा एप जिस दौरान चर्चा में था, उस समय एएसपी अभिषेक माहेश्वरी रायपुर में सिटी एसपी के पद पर पदस्थ थे। उनके कार्यकाल में कई बार महादेव सट्‌टा एप की आईडी लेकर चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की गई। उसके बाद भी वे लगातार अलग-अलग तरह बातों को लेकर चर्चा में थे। बुधवार को सीबीआई की टीम जब उनके राजनांदगांव और रायपुर स्थित फ्लैट पहुंची तो वे कहीं नहीं मिले। यहां तक कि दोनों घरों में उनके परिवार का एक भी सदस्य मौजूद नहीं था। कुछ देर इंतजार करने के बाद सीबीआई की टीम ने उनके फ्लैट को सील किया और लौट गई। अब उनकी मौजूदगी में सील तोड़कर जांच की जाएगी। चर्चित चिट्‌ठी में जिक्र, हर माह किसे कितने पैसे मिले भाजपा मुख्यालय के प्रभारी की चिट्‌ठी इस कार्रवाई के बाद अचानक ही वायरल हो गई। उन्होंने करीब दो माह पहले सीबीआई के डायरेक्टर को पत्र लिखा था। उनकी चिट्‌ठी में ईडी के प्रतिवेदन का काफी हिस्सा था। यानी ईडी के प्रतिवेदन के आधार पर ही चिट्‌ठी लिखी गई थी। चिट्‌ठी में महादेव सट्‌टा एप को चलाने में मदद करने वाले और बदले में प्रोटेक्शन मनी लेने वाले एक-एक किरदार का उल्लेख था। ये भी जिक्र था कि किसे कितने पैसे मिल रहे हैं। छाबड़ा और आरिफ के घर जांच रायपुर के पूर्व आईजी आनंद छाबड़ा और आरिफ शेख के सरकारी बंगलों में घटों जांच हुई। आरिफ शेख की पोस्टिंग सरगुजा में है। इसलिए वे बंगले में नहीं थे। उनकी गैरमौजूदगी में सीबीआई ने करीब चार-पांच घंटे जांच की। इस दौरान कई दस्तावेजों को खंगाला गया। आईजी छाबड़ा के रायपुर और भिलाई दोनों बंगलों की छानबीन की गई।

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