सड़कों की मरम्मती का मामला:कोर्ट बोला- हादसा न हो; इसका उपाय करें, पर बिजली आपूर्ति बाधित न हो

नौ अप्रैल को मामले की विस्तृत सुनवाई होगी झारखंड हाईकोर्ट ने सरहुल पर 10 से 12 घंटे बिजली काटे जाने पर नाराजगी जताई है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रौशन की खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते कहा कि बिजली अनिवार्य सेवा है। इसे बाधित नहीं किया जा सकता। अदालत ने रामनवमी और मोहर्रम पर निकलने वाले जुलूस के दौरान बिजली कटौती पर रोक लगा दी है। अदालत ने ऐसे मौके पर जुलूस निकालने के लिए अनुमति दिए जाने के समय झंडों की लंबाई और चौड़ाई को निर्धारित करने को भी कहा है, ताकि झंडे बिजली के तारों के संपर्क में नहीं आएं। अदालत ने सरकार को ऐसी व्यवस्था तत्काल लागू करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) से जानना चाहा कि सरहुल के दिन घंटों बिजली आपूर्ति बाधित क्यों रही। इससे आम लोगों को होने वाली परेशानी को ध्यान में क्यों नहीं रखा गया। मामले में हाईकोर्ट में 9 अप्रैल को विस्तृत सुनवाई होगी। बिजली बाधित होने से अस्पतालों पर भी पड़ता है असर सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि बिजली आपूर्ति आवश्यक सेवा है। गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है। ऐसे में बिजली आपूर्ति बंद करने से बुजुर्ग, बीमार, छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों पर ज्यादा असर पड़ता है। बिजली नहीं रहने से व्यापारिक प्रतिष्ठान भी बंद हो जाते हैं, इससे राजस्व का नुकसान होता है। निजी और सरकारी अस्पताल भी इससे प्रभावित होते हैं। जेबीवीएनएल को सरहुल की तरह भविष्य में बिजली नहीं काटने का निर्देश दिया, जब तक की मौसम अत्यधिक खराब न हो और कोई आपात स्थिति नहीं आ जाए। जवाब दाखिल नहीं करने पर सरकार पर 10 हजार का हर्जाना शहर की सड़कों की मरम्मती के मामले में जवाब दाखिल नहीं करने पर झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार पर 10 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है। जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने हर्जाने की राशि झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (झालसा) के पास जमा करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले भी तीन बार समय लेकर जवाब दाखिल करने का आग्रह किया था, लेकिन अब तक जवाब दाखिल नहीं किया। गुरुवार को भी सरकार की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगा गया, जिस पर अदालत ने नाराजगी जताई। भास्कर ने उठाया था मुद्दा महाधिवक्ता बोले… 2000 में हो चुका है बड़ा हादसा, पर खंडपीठ तर्क से सहमत नहीं महाधिवक्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि 2000 में बिजली तार की चपेट में आने से 29 लोगों की मौत हो गई थी। इसे ध्यान में रखकर जुलूस के दौरान बिजली आपूर्ति बंद कर दी जाती है। 6 अप्रैल को रामनवमी और 6 जुलाई को मुहर्रम जुलूस के मद्देनजर बिजली सप्लाई रोकने की फिर जरूरत पड़ेगी। इस पर खंडपीठ ने आदेश दिया कि कोई हादसा ना हो, इसका उपाय सुनिश्चित कराएं। बिजली आवश्यक सेवा है, इसकी आपूर्ति बाधित नहीं होनी चाहिए।

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