मप्र जैसा सब्सिडी घोटाला छत्तीसगढ़ में भी: राज्य बीज निगम से किशन एग्रोटेक ने चाइनामेड मशीन की दर सवा लाख तय कराई, किसानों को बेच प्रति मशीन 63 हजार रुपए सब्सिडी हड़प ली, यह खुलासा करती भास्कर रिपोर्ट छत्तीसगढ़ उद्यानिकी विभाग में कृषि उपकरण खरीदी में बड़ा घोटाला हुआ है। यह घोटाला प्राइवेट फर्म की मिलीभगत से हुआ है। राज्य बीज निगम से खेत में निदाई-गुड़ाई के लिए पावर वीडर नाम के उपकरण की दर प्रति नग 1.26 लाख रुपए तय कराई गई। जबकि ऐसी मशीन बाजार में अधिकतम 50 हजार रुपए में मिल रही है। दर तय कर निगम ने धमधा दुर्ग की किशन (या किसान) एग्रोटेक नाम की फर्म भी तय कर दी। इस फर्म ने सीधे किसानों को पावर वीडर पहुंचाने शुरू कर दिए। किसानों से कहा- उपकरण मुफ्त में दिए जा रहे हैं। आप खाते में आने वाली सब्सिडी 63 हजार रु. प्रति नग विभाग को देना। विभाग से ये रकम फर्म तक पहुंची। इस तरह लालच देकर राज्य में साल 2020-21, 2021-22 और 2022-23 में 3 अलग-अलग केंद्रीय योजनाओं के तहत 4,500 से अधिक पावर वीडर बांटे गए। इनमें 73 करोड़ रुपए का भुगतान हुआ। भास्कर पड़ताल में खुलासा है कि ये वीडर चाइनामेड हैं। फर्म ने इन्हें अपना स्टीकर लगाकर सप्लाई किया, जो केंद्र सरकार की टेस्टिंग एजेंसी की जांच में अमानक पाए गए हैं। इस घोटाले में राज्य उद्यानिकी विभाग, बीज निगम के अफसर शामिल हैं। जानकारी के मुताबिक डीएमएफ फंड से भी कई जिलों में पावर वीडर खरीदे गए हैं। केंद्रीय मंत्रालय के निर्देश पर इस मामले में जांच जारी है। इसके साथ ही पैक हाउस (टीन शेड) व नेट हाउस की भी जांच जारी है। दरअसल, एकीकृत बागवानी मिशन योजना (एमआईडीएच), परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाय), राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाय) में सब्सिडी की राशि 40 व 50 प्रतिशत है। कृषि और उद्यानिकी योजनाओं में करोड़ों के घोटाले का मास्टरमाइंड जिग्नेश पटेल है, जिसे 18 अप्रैल को ईओडब्ल्यू ने भोपाल में गिरफ्तार किया है। वह छत्तीसगढ़ ईओडब्ल्यू के रडार पर भी है। भास्कर के पास मशीन की टेस्टिंग रिपोर्ट: मानकों पर खरी नहीं कृषि क्राफ्ट KC-PWP-7 HP पॉवर वीडर-
निर्माता: यानचेंग सिनमिंगयू मशीनरी मेन्यूफेक्चरिंग, नं. 11, सिंनयांग रोड, टिंघू चाइना।
सप्लायर: किशन एग्रोटेक, लुखी गैराज, धमधा रोड, दुर्ग।
{टॉर्क 18 एनएम की जगह 17.7 एनएम, इंजन बैकअप टॉर्क 10 की जगह 2.72% था।
{नेचुरल और हाई एंबिएंट कंडीशन में अलग-अलग स्पीड में टेस्टिंग के दौरान इंजन की स्पीड एकदम से कम करने पर काला धुआं छोड़ रही थी। हार्डनेश ऑफ द ब्लेड, लेबलिंग ब्लेड मानकों के अनुरूप नहीं पाई गई थी।
{मशीन की आवाज 90 डेसीबल निकलने वाले माइक्रोंस ऑपरेटर्स के स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है।
(टेस्टिंग एजेंसी ने रिपोर्ट में लिखा कि इन मानकों में सुधार की जरूरत है।) किसान बोले- वीडर फ्री दिया, फिर सब्सिडी के पैसे ले लिए केस 1 – धरसींवा ब्लॉक के अकोली गांव के किसान हिम्मत पटेल कहते हैं- 2021 में उद्यानिकी विभाग ने जमीन के कागज, बैंक अकाउंट और आधार की कॉपी ली। पावर वीडर खरीदने के लिए हमें पैसा नहीं देना पड़ा। कंपनी ने उसे खेत तक खुद पहुंचाया। तब रसीद नहीं दी थी। सप्लायर ने 63 हजार की सब्सिडी चेक से ली। अब ये खराब पड़ा है। केस 2 – अभनपुर के किसान राम (बदला नाम) कहते हैं- हमें बेरला नर्सरी से पावर वीडर मिला था। बदले में सब्सिडी निकालकर अधिकारी को दे दी थी। ये उपकरण हमें फ्री में पड़ा। हां, बस ऊपर से 5000 रुपए और लिए गए। मेरे और पत्नी के नाम पर मशीनें दीं। (नियमानुसार एक परिवार में एक ही सदस्य को मिलेगा लाभ।) (भास्कर ने 10 किसानों से बात की, मगर वे डरे हैं। उद्यानिकी विभाग के अफसर कह रहे- गड़बड़ी हुई है।) ऐसा ही घोटाला मप्र में हुआ, आईएफएस समेत 15 लोगों पर FIR
मध्यप्रदेश में साल 2017 से उद्यानिकी विभाग में पावर वीडर, पॉवर टीलर सप्लाई किए गए। इसमें सब्सिडी की राशि में गड़बड़ी हुई। एक किसान की शिकायत पर लोकायुक्त ने जांच की। 2022 में तत्कालीन उद्यानिकी संचालक समेत 15 अन्य पर एफआईआर हुई। इनमें कई फर्में हैं। खास बात यह है कि 2 फर्म का कनेक्शन छत्तीसगढ़ से है। ये छत्तीसगढ़ इंटरप्राइजेज दुर्ग प्रो. मितुल भाई पिता प्रवीण भाई पटेल और जेएम इंटरप्राइजेज हरिनगर दुर्ग हैं। सब्सिडी का ये था नियम
किसान किसी भी विभाग से उपकरण खरीदने के लिए बाध्य नहीं है। वे बाजार से मशीन खरीदी कर सकते हैं। उन्हें बिल उद्यानिकी विभाग में जमा करना होता है। विभाग सीधे अकाउंट में सब्सिडी जारी करता है।
ऐसे किया खिलवाड़: बीज निगम ने किशन एग्रोटेक का नाम तय कर दिया। पंजीयन प्रमाण-पत्र जारी कर दिया। फर्म ने गांवों में मशीन सप्लाई कर दी। बाद में सब्सिडी की राशि किसानों के खातों से फर्म की जेब में आ गई। रमन सिंह केंद्र को जांच के लिए पत्र लिख चुके
1 फरवरी 2023 को डॉ. रमन सिंह ने केंद्रीय कृषि मंत्री को पत्र लिखकर जांच की मांग की थी। बागवानी विकास मिशन के पूर्व सदस्य मितुल कोठारी ने भास्कर से कहा- पॉवर वीडर 3 गुना अधिक दर पर सप्लाई हुए हैं। इसमें विभाग और सप्लायर मिले हुए हैं। मामले की गंभीरता से जांच हो। सख्ती से कार्रवाई की जाएगी सब्सिडी गड़बड़ी से जुड़ा यह प्रकरण मेरी जानकारी में है। इस पर जांच चल रही है। जांच में जो भी व्यक्ति दोषी पाया जाएगा, उस पर सख्ती से कार्रवाई होगी। -रामविचार नेताम, कृषि मंत्री