हाई कोर्ट ने आमेर फोर्ट और इसके आसपास के क्षेत्र में हाथी सवारी की दरें कम करने के सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है। जस्टिस महेन्द्र गोयल की अदालत ने दर कम करने के 8 नवम्बर के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि सरकार हाथी मालिकों को सुनकर दरें तय करे। सरकार के दर कम करने के आदेश को हाथी गांव विकास समिति ने हाई कोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी थी कि दरें कम करने से पहले उन्हें नहीं सुना गया। हाथी सवारी की दर करीब 10 साल बाद बढ़ाई गई थी। लेकिन विभाग ने मनमाने तरीके से दर को कम कर दिया। 2500 से 1500 रुपए कर दी थी दर
हाथी गांव विकास समिति के लीगल एडवाइज़र अधिवक्ता असलम खान ने बताया कि हाथी गांव विकास समिति व अन्य स्टैक होल्डर्स की मांग पर पर्यटन विभाग और पुरात्व विभाग ने सर्वसम्मति से निर्णय करते हुए 26 जून को हाथी सवारी की दर 2500 रुपए प्रति ट्रिप तय की थी। नई दरें 1 अक्टूबर से लागू भी कर दी गई। लेकिन फिर अचानक पर्यटन विभाग के आयुक्त, पुरात्व विभाग के निदेशक व अन्य अधिकारियों ने बैठक करके 8 नवम्बर को दर 2500 रुपए से घटाकर 1500 रुपए कर दी। इस निर्णय को लेने से पहले हाथी गांव विकास समिति अथवा किसी हाथी मालिक को नहीं सुना गया। ऐसे में यह आदेश मनमाना और पुरात्व अधिनियम 1976 के रूल्स-38 के विपरीत है। कानून में स्पष्ट है कि दरें तय करने से पहले हाथी मालिक को सुना जाएगा। करीब 10 साल बाद बढ़ी थी दरें
हाथी गांव विकास समिति की ओर से कहा गया कि आमेर में हाथी सवारी की दरें करीब 10 साल बाद बढ़ाई गई थी। इससे पहले 16 अक्टूबर 2014 को हाथी सवारी की दर 900 रुपए से बढ़ाकर 1100 रुपए की गई थी। इसके बाद से लगातार दर बढ़ाने की मांग के बाद पिछले साल 5 अक्टूबर 2023 को दर 1100 रुपए से बढ़ाकर 3500 रुपए करने का निर्णय हुआ। लेकिन बढ़ी हुई दर लागू होती उससे पहले ही विभाग ने 12 अक्टूबर 2023 को दर बढ़ाने का आदेश वापस ले लिया।