प्रदेश में पिछली सरकार की लापरवाही का खामियाजा उजाला ग्राम संगठन की दीदियां भुगत रही हैं। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 2022 में दिवाली पर छेरीखेड़ी स्थित मल्टी यूटिलिटी सेंटर को गिफ्ट हैंपर का मौखिक ऑर्डर दिया था। इसे पूरा करने के लिए उजाला ग्राम समूह ने बैंक और समूह के क्लस्टर से कर्ज लिया। कुछ सामान बाजार से उधार लेकर दिवाली तक गिफ्ट हैंपर के 5 हजार पैकेट तैयार कर मुख्यमंत्री आवास को भेज दिए। मुख्यमंत्री निवास से गिफ्ट दिल्ली सहित अलग-अलग राज्यों में नेताओं और अफसरों को बांट दिए गए। लेकिन इन दीदियों का भुगतान करना भूल गए। भुगतान के लिए महिला समूह ने कई बार मंत्रालय में एमडी ऑफिस के चक्कर लगाए, लेकिन अब तक उनका पैसा नहीं मिला। दीदियों के समूह को क्लस्टर ने करप्ट घोषित कर अब कर्ज देना बंद कर दिया है। बैंक का कर्ज दीदियां धीरे-धीरे चुका रही हैं। समूह में मोहनी डहरिया अध्यक्ष, परमेश्वरी पाल सचिव, श्वेता जांगड़े कोषाध्यक्ष, विजय लक्ष्मी, दामिनी विश्वकर्मा आदि। तीन अलग-अलग हैंपर किए गए थे तैयार, इसके लिए समूह ने लोन लिया दीदियों ने बताया कि अक्टूबर 2022 में दीपावली के पहले मिशन संचालक एसएलआरएम के कार्यालय से मौखिक आदेश आया। आदेश में कहा गया कि मुख्यमंत्री निवास पर 5 हजार गिफ्ट हैंपर भेजना है। ये करीब 1 करोड़ 20 लाख रुपए के थे। इसमें 5 हजार, 3 हजार और 2 हजार की टोकरी का हैंपर तैयार करने के लिए कहा गया था। तत्काल इतने बड़े ऑर्डर के लिए दीदियों के पास पैसा नहीं था, लेकिन मामला सीएम हाउस से जुड़ा था तो दीदियां मना नहीं कर सकीं। दीदियों ने इन्हें तैयार करने के लिए क्लस्टर से 35 लाख और बैंक के करीब 10 लाख का लोन लिया। दुकानों से उधार में सामाग्री खरीदी और कुछ पैसा समूह ने लगाया। महिला समूह की सदस्य ने बताया कि समूह की दीदियों ने मिलकर बैंक ऑफ बड़ौदा से लोन लिया था। बैंक का लोन समूह के सेविंग अकाउंट से जुड़ा है। समूह के खाते में पैसा रहता है, तो बैंक हर माह 8 हजार रुपए खुद ब खुद काट लेती है। यदि खाते में पैसा नहीं रहता तो बैंक के लोग खुद आकर तकादा कर लेते हैं। पेमेंट लेट होने पर एक्स्ट्रा चार्ज भी काटते हैं। गिफ्ट हैंपर में क्या थी सामग्री
गिफ्ट हैंपर में नारियल तेल, मिलेट लड्डू, मुनगा पाउडर, हर्बल चाय, कुकीज, साबुन, शहद, आचार, छत्तीसगढ़ी व्यंजन, अपराजिता का फूल, गोबर के दिए आदि। सरकार बदल गई
सप्लाई के बाद महिला समूह ने 6 माह तक पेमेंट का इंतजार किया। इसके बाद शिकायत लेकर विकास भवन के एमडी कार्यालय पहुंचीं, लेकिन सिर्फ आश्वासन मिला। विधानसभा चुनाव हुए, सरकार बदल गई। 3 एमडी भी बदल गए, लेकिन भुगतान अटका ही रह गया। उजाला समूह की दीदियों ने यदि गिफ्ट हैंपर की सप्लाई की थी, तो उनको भुगतान किया जाना चाहिए था। मामला पुराना हो गया है, मुझे ठीक से याद नहीं है।
-अवनीश शरण, तत्कालीन मिशन संचालक, एसएलआरएम पुराना मामला है मुझे इसकी जानकारी नहीं है। ऑ फिस में पता करवाती हूं कि इसका कोई आदेश जारी हुआ था क्या। इसके बाद ही मैं कुछ बोल पाऊंगी।
– जयश्री जैन, मिशन संचालक एसआरएलएम