सरकार ब्याज दरों में और कटौती कर सकती है:RBI गवर्नर बोले- अगर GDP के डेटा में सुस्ती दिखीं तो दरें घटाई जा सकती हैं

महंगाई से राहत मिल चुकी। जून में रिटेल महंगाई सिर्फ 2.1% रही। अब लोन की किस्तें भी और घट सकती हैं। रिजर्व बैंक अगस्त में होने वाली बैठक में फिर रेपो रेट घटा सकता है। RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि न्यूट्रल रुख का ये मतलब नहीं है कि पॉलिसी रेट्स नहीं घटाई जा सकती। जरूरत पड़ने पर इसमें और कटौती की जा सकती है। जून में ही रेपो रेट 0.5% घटाकर 5.50% कर दिया गया है। फरवरी से अब तक इसमें 1% कटौती हो चुकी है। बैंक इसी रेट के हिसाब से लोन की दरें तय करते हैं। जब रेपो रेट घटता है, तो बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI जिस रेट पर बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहते हैं। जब RBI रेपो रेट घटाता है, तो बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है, और वो इस फायदे को ग्राहकों तक पहुंचाते हैं। यानी, आने वाले दिनों में होम और ऑटो जैसे लोन 0.50% तक सस्ते हो जाएंगे। ताजा कटौती के बाद 20 साल के ₹20 लाख के लोन पर ईएमआई 617 रुपए तक घट जाएगी। इसी तरह ₹30 लाख के लोन पर ईएमआई 925 रुपए तक घट जाएगी। नए और मौजूदा ग्राहकों दोनों को इसका फायदा मिलेगा। 20 साल में करीब 1.48 लाख का फायदा मिलेगा। रिजर्व बैंक के अनुमान से नीचे आई महंगाई जुलाई में सिर्फ 1% रह सकती है रिटेल महंगाई ब्याज दरें और घटाने की जरूरत इन वजहों से… इस साल 3 बार घटा रेपो रेट, 1% की कटौती हुई RBI ने फरवरी में हुई मीटिंग में ब्याज दरों को 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया था। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की ओर से ये कटौती करीब 5 साल बाद की गई थी। दूसरी बार अप्रैल में हुई मीटिंग में भी ब्याज दर 0.25% घटाई गई। अब तीसरी बार दरों में कटौती हुई है। यानी, मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने तीन बार में ब्याज दरें 1% घटाई हैं। रेपो रेट के घटने से हाउसिंग डिमांड बढ़ेगी रेपो रेट घटने के बाद बैंक भी हाउसिंग और ऑटो जैसे लोन्स पर ब्याज दरें कम करते हैं। ब्याज दरें कम होने पर हाउसिंग डिमांड बढ़ेगी। ज्यादा लोग रियल एस्टेट में निवेश कर सकेंगे। इससे रियल एस्टेट सेक्टर को बूस्ट मिलेगा। CRR घटने से ₹2.5 लाख करोड़ फाइनेंशियल सिस्टम में आएंगे RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने कहा कि कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) में 1% की कटौती करके इसे 4.00% से घटाकर 3.00% करने का फ़ैसला किया है। उन्होंने कहा कि RBI के इस कदम से ₹2.5 लाख करोड़ फाइनेंशियल सिस्टम में आएंगे। CRR वो पैसा है जो बैंकों को अपने कुल जमा का एक हिस्सा रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) के पास रखना होता है। इससे RBI ये कंट्रोल करता है कि बाजार में कितना पैसा रहेगा। अगर CRR कम होता है, तो बैंकों के पास लोन देने के लिए ज्यादा पैसा बचता है, जैसे इस बार 1% की कटौती से ₹2.5 लाख करोड़ रुपए सिस्टम में आएंगे।

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