छत्तीसगढ़ में अगले 5 दिनों तक मध्यम बारिश का दौर सभी 5 संभाग में जारी रहेगा। वहीं पिछले 36 घंटों की बात करें तो प्रदेश के एक से दो स्थानों में भारी बारिश हुई है। वहीं ज्यादातर जगहों पर रिमझिम बारिश का दौर ही चला है। मौसम विभाग ने आज, शनिवार को प्रदेश के उत्तरी और दक्षिणी जिलों में बिजली गिरने का यलो अलर्ट जारी किया है। मध्य छत्तीसगढ़ में मौसम सामान्य रहने की संभावना है। इस महीने की बात करें तो अगस्त में मानसून अब तक बहुत तेज नहीं रहा है। बता दें कि छत्तीसगढ़ में पिछले 8 दिनों में सामान्य से लगभग 64% कम बारिश हुई है। सामान्य तौर पर 1 से 8 अगस्त के बीच 107.7MM पानी बरस जाना चाहिए था। लेकिन अब तक केवल 38.7MM पानी ही बरसा है। इसमें भी 13.3MM पानी पिछले 24 घंटे में गिरा है। बलरामपुर में सबसे ज्यादा बारिश, बेमेतरा में सबसे कम 1 जून से अब तक 665.8 मिमी बारिश हो चुकी है। बलरामपुर जिले में सबसे ज्यादा 1094.5 मिमी वर्षा हुई है। बेमेतरा जिले में सबसे कम 328.4 मिमी पानी बरसा है। रायपुर संभाग में रायपुर जिले में 582.3 मि.मी., बलौदाबाजार में 557.5 मि.मी., गरियाबंद में 499.8 मि.मी., महासमुंद में 538.2 मि.मी. और धमतरी में 505.4 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज हुई है। बिलासपुर संभाग में बिलासपुर जिले में 675.8 मि.मी., मुंगेली में 680.4 मि.मी., रायगढ़ में 799.5 मि.मी., जांजगीर-चांपा में 867.3 मि.मी., कोरबा में 710.3 मि.मी., गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही 633.5 मि.मी., सारंगढ़-बिलाईगढ़ में 597.3 मि.मी., सक्ती में 729.5 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज हुई है। दुर्ग संभाग में दुर्ग जिले में 507.9 मि.मी., कबीरधाम में 473.4 मि.मी., राजनांदगांव में 553.3 मि.मी., बालोद में 592.2 मि.मी., मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी में 791.1 मि.मी., खैरागढ़-छुईखदान-गंडई में 453.3 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज हुई है। सरगुजा संभाग में सरगुजा जिले में 478.7 मि.मी., सूरजपुर में 818.6 मि.मी., जशपुर में 719.1 मि.मी., कोरिया में 739.3 मि.मी. और मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर में 721.3 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज हुई है। बस्तर संभाग में बस्तर जिले में 732.6 मि.मी., कोंडागांव में 483.8 मि.मी., नारायणपुर में 602.0 मि.मी., बीजापुर में 805.2 मि.मी., सुकमा में 501.5 मि.मी., कांकेर में 644.6 मि.मी., दंतेवाड़ा में 665.2 मि.मी. और औसत वर्षा रिकार्ड की जा चुकी है। गरियाबंद में उफनते नाले को पार कर स्कूल पहुंचे शिक्षक इस बीच गरियाबंद जिले में उफनते नाले को पार कर शिक्षक के स्कूल जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। ट्यूब के सहारे बाकड़ी पैरी नाला को पार कर शिक्षक बोडापाल और जारहीडीह स्कूल पढ़ाने जाते हैं। पुल नहीं होने की वजह से बरसात के मौसम में अक्सर ऐसी स्थिति देखने को मिलती है। जून से जुलाई के बीच 623.1 MM मिलीमीटर बारिश प्रदेश में 1 जून से 30 जुलाई तक कुल 623.1 MM मिमी बारिश हुई। मौसम विभाग ने 558MM के करीब बारिश का अनुमान लगाया था। यानी अनुमान से 12 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। वहीं सिर्फ जुलाई महीने की बात करें तो कुल 453.5 मिमी बारिश हुई है। पिछले 10 सालों में सिर्फ 2 बार ही जुलाई में बारिश का आंकड़ा 400MM पार हुआ है। 2023 में जुलाई माह में प्रदेश में सबसे ज्यादा 566.8MM पानी बरसा था। इससे पहले 2016 में 463.3MM पानी गिरा था। जानिए इसलिए गिरती है बिजली दरअसल, आसमान में विपरीत एनर्जी के बादल हवा से उमड़ते-घुमड़ते रहते हैं। ये विपरीत दिशा में जाते हुए आपस में टकराते हैं। इससे होने वाले घर्षण से बिजली पैदा होती है और वह धरती पर गिरती है। आकाशीय बिजली पृथ्वी पर पहुंचने के बाद ऐसे माध्यम को तलाशती है जहां से वह गुजर सके। अगर यह आकाशीय बिजली, बिजली के खंभों के संपर्क में आती है तो वह उसके लिए कंडक्टर (संचालक) का काम करता है, लेकिन उस समय कोई व्यक्ति इसकी परिधि में आ जाता है तो वह उस चार्ज के लिए सबसे बढ़िया कंडक्टर का काम करता है। जयपुर में आमेर महल के वॉच टावर पर हुए हादसे में भी कुछ ऐसा ही हुआ। आकाशीय बिजली से जुड़े कुछ तथ्य जो आपके लिए जानना जरूरी आकाशीय बिजली से जुड़े मिथ