सवाल-देश का PM कौन है, छात्र का जवाब-हेमंत सोरेन:प्राइमरी स्कूल की प्रिंसिपल को पलामू DC तक का नाम नहीं मालूम; BEO ने कहा-जांच होगी

‎शिक्षा के क्षेत्र से एक ऐसा चौंकाने वाला ‎‎मामला सामने आया है, जिसने न केवल‎‎ व्यवस्था की पोल खोल दी है, बल्कि‎‎ सरकारी विद्यालयों में नियुक्त शिक्षकों की‎‎ योग्यता पर भी बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया है।‎‎ यह घटना उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय करमा‎‎ की है। जहां प्रधानाध्यापिका सुनीता कुमारी ‎‎देश के शिक्षा मंत्री और पलामू के उपायुक्त‎(डीसी) का नाम तक नहीं बता सकीं। जब कक्षा में उपस्थित‎ बच्चों से पूछा गया कि भारत के प्रधानमंत्री कौन हैं, तो उन्होंने‎ जवाब दिया-हेमंत सोरेन! बच्चों की इस जवाब ने न सिर्फ वहां‎ मौजूद लोगों को चौंका दिया, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि‎ उन्हें पढ़ाने वाला शिक्षक खुद बुनियादी जानकारी से कोसों दूर है।‎ अब इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। बेसिक जानकारी नहीं होना प्रधानाध्यापिका के लिए शर्मनाक बीईईओ परमेश्वर प्रसाद ने कहा कि सुनीता कुमारी सहायक शिक्षिका हैं। वे स्कूल की एचएम ‎भी हैं। अगर उन्हें बेसिक जानकारी भी नहीं है तो यह शर्मनाक है। किस तरह इन लोग का वर्षों पूर्व चयन हुआ ‎यह मैं नहीं कह सकता। यह गंभीर मामला है। इसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी।‎ कागजों तक सिमट कर रह गया अधिकारियों का निरीक्षण‎ स्थिति तब और भी गंभीर नजर आई जब यही‎ सवाल प्रधानाध्यापिका से किया गया और उन्होंने ‎चुप्पी साध ली। इस चुप्पी ने कई सवाल खड़े कर‎ दिए कि क्या ये शिक्षक वाकई चयन प्रक्रिया से ‎गुजरकर इस पद तक पहुंचे हैं? क्या उनमें शिक्षा के‎ प्रति जिम्मेदारी और समझ है? या फिर नियुक्ति‎ केवल कागजों पर परीक्षा पास करने की खानापूरी से‎ पूरी हो गई? क्या ऐसे में अधिकारियों की निरीक्षण‎ रिपोर्ट कागजों तक सीमित होकर रह गई हैं? यह‎ घटना सिर्फ एक विद्यालय की लापरवाही नहीं है,‎बल्कि यह पूरे सरकारी शिक्षा तंत्र के गहराते संकट‎ का संकेत है। यह स्पष्ट हो गया है कि केवल‎ विद्यालय भवन और मध्याह्न भोजन से शिक्षा नहीं ‎सुधर सकती। यदि शिक्षक ही जागरूक और‎ संवेदनशील न हों, तो बच्चों की नींव मजबूत कैसे ‎होगी? सरकार करोड़ों रुपए शिक्षा पर खर्च करती है।‎

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