भास्कर न्यूज | कोमाखान 13वें साहित्य परिषद कार्यक्रम का आयोजन कांटबाजी में हुआ। इस दौरान सभी को छत्तीसगढ़ व ओडिशा के संस्कृति के बारे में बताया गया। इस कार्यक्रम में 31 साहित्यकारों कवियों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉ. विजय शर्मा ने कहा कि ओडिशा व छत्तीसगढ़ की सांझी संस्कृति विषय बताया कि सोनाबेड़ा की धरती की दो आदिवासी बाला सोनई व रूपई ने अपने अदम्य साहस, परोपकारिता से पश्चिमी उड़ीसा से छत्तीसगढ़ के बस्तर, सरगुजा मध्य छग के विशाल क्षेत्र में सैकड़ों वर्ष बाद भी पूजी जाती है, उनकी भू-दान, स्थान नामकरण उनकी प्रसिद्धि का द्योतक है। जिनकी सांझी संस्कृति ने हमें उदार और सहिष्णु बनाया। उन्होंने 14 वीं सदी की दूसरी ऐतिहासिक घटना का उल्लेख करते हुए खरियार के राजा ने अपनी पुत्री को दहेज में नर्रा राज्य की जमीदारी पूरे शान शौकत के साथ दी। सत्र में 31 साहित्यकारों कवियों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में मुख्यअतिथि अंजली मांझी, डॉ. युगल किशोर षड़ंगी साहित्य अकादमी पुरस्कार सम्मानित की अध्यक्षता में प्रतिभावान छात्रों को पुरस्कृत किया गया। तृतीय सत्र के मुख्यातिथि पूर्व विधायक हाजी मोहम्मद अयूब खान व अतिथियों ने साहित्य पत्रिका ममता की डोर का विमोचन किया गया। समापन सत्र के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ के साहित्यकार किसान दीवान अध्यक्षता साहित्यकार लक्ष्मीधर माझी ने साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। इस मौके पर निरुपमा मांझी, भिखारी चरण दास, डॉ. विजय शर्मा, विरांची नारायण दास सहित अन्य लोग मौजूद थे।