सिटी बस अहम मुद्दा, पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं, ऑटो चालकों की मनमानी से रोजाना ट्रैफिक होता है जाम

नगर निगम चुनावों के लिए इस समय प्रचार का जोर चल रहा है। लगभग दो साल बाद हो रहे चुनावों के दौरान जहां पार्टियों और नेताओं द्वारा पानी सीवरेज की समस्या और पिछली पार्टियों द्वारा नहीं करवाए गए कामों का प्रचार कर लोगों को उन्हें वोट देने और साथ जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन एक अहम मुद्दा है जिस पर शायद ही कोई चर्चा चल भी रही है वो है सिटी बस का मुद्दा। इसी साल मार्च से बंद की गई सिटी बस को जहां अगस्त में 100 ई-बस के साथ बदलने के लिए काम शुरू किया गया। लेकिन अब तक यह प्रोसेस पूरा नहीं हो सका। अब जहां रुलिंग पार्टी और अधिकारियों के पास कोड अॉफ कंडक्ट का बहाना है लेकिन हमें यह समझना होगा कि पहले भी इस मुद्दे को हल करने या उठाने के लिए कड़े प्रयास नहीं हुए। वहीं, सिटी बस शहर की महिलाओं का एक अहम मुद्दा है। महिलाओं के अनुसार सिटी बस की सुविधा होने से रोजाना आने जाने में होने वाली परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। वहीं, पब्लिक ट्रांसपोर्ट की एकमात्र सुविधा भी बंद कर नई सुविधा को भी चलाने के लिए कोई तेज प्रयास नहीं किए गए। ऑटो या अन्य ट्रांसपोर्ट के साधनों का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं और कॉलेज जाने वाली लड़कियों के अनुसार चंडीगढ़ की तर्ज पर यहां भी सिटी बसों को प्रमुखता से चलाते हुए नए रुट भी शामिल किए जाने चाहिए।

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