अगर छोटा आदमी गलती करे तो उस पर कार्रवाई हो और बड़े आदमी को छोड़ दें, माफ करना… मेरी सरकार में ऐसा निर्णय नहीं होगा। ये बात मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कही है। उनसे पूछा गया था कि एक साल में आपकी सरकार ने 200 से ज्यादा आईएएस- आईपीएस अफसरों के तबादले कर दिए। क्या प्रशासनिक कसावट के लिए यह जरूरी था?
उन्होंने कहा- आप इसे इस तरह से मत देखिए। इसमें दो बातें हैं, जब चुनाव आते हैं तो आचार संहिता के कारण से भी लोग हटाने पड़ते हैं। इलेक्शन कमीशन ने कहा कि 3 साल हो गए तो हटाएं। तो मुझे वे अफसर हटाने पड़ेंगे। फिर जब सुशासन की बात करते हैं तो हटाने-बैठने की बात नहीं करना पड़ेगी। ड्राइवर का अपमान अगर कलेक्टर कर रहा है तो कलेक्टर को कलेक्टरी नहीं करने देंगे। यह शाजापुर में सबने देखा है। गलती करेंगे तो गलती के आधार पर निर्णय होंगे। जो आवश्यक है, वैसे फैसले लेने पड़ते हैं। मुख्यमंत्री के रूप में एक साल पूरा होने पर दैनिक भास्कर ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव से निगम-मंडल में नियुक्तियां, मंत्रिमंडल में विस्तार और मंत्रियों में खींचतान जैसे कई मुद्दों पर चर्चा की। सिलसिलेवार पढ़िए दैनिक भास्कर के सवाल और सीएम यादव के जवाब सवाल- श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल 24 घंटे बाजार खोलने का फैसला लागू करने वाले थे। कहां रुक गया यह निर्णय ?
जवाब -इंडस्ट्रियल एरिया में 24 घंटे की बात कही है। अगर आईटी पार्क है तो वह 24 घंटे चालू है, लेकिन भिंडी बाजार बंद करना है तो बंद करो। उसे 24 घंटे नहीं खोल सकते। एक तराजू से सबको नहीं तोल सकते। अलग-अलग स्थिति के हिसाब से निर्णय लेना पड़ते हैं। यह तो व्यवस्थाओं के काम हैं। जैसे बीआरटीएस हमने बनाया था और हटाया भी हमने। सवाल- प्रशासनिक पुनर्गठन आयोग बनाया है। कितने नए जिले और संभाग बनने की संभावना है?
जवाब- यह तो आयोग की रिपोर्ट के बाद तय होगा। जिलों की भौगोलिक स्थिति और आबादी के अनुपात में विसंगतियां हैं। इसे ठीक करने के लिए ही आयोग बनाया है। यह रिपोर्ट देगा तो हम सब सुधार देंगे। जैसे कोई जिला 40 लाख आबादी का है, कोई 5 लाख का ही है। शहडोल संभाग दो जिलों का है, लेकिन इंदौर, उज्जैन संभाग में 8-8 जिले हैं। इनके आकार में बदलाव की जरूरत है, आयोग जो अनुशंसा करेगा वैसा काम करेंगे। सवाल- वन नेशन वन इलेक्शन का मध्यप्रदेश में कितना असर होगा?
जवाब- बहुत असर होगा। हमारे 3 महीने लोकसभा चुनाव में चले गए, फिर तीन उप चुनाव आ गए। इसमें अनावश्यक समय लगता है। वन नेशन – वन इलेक्शन में एक बार में ही सब कुछ हो जाएगा। सवाल- आपने भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की बात कही। आरटीओ के चेक पोस्ट खत्म किए, लेकिन लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में अफसरों के खिलाफ दर्ज मामलों में अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिल रही है, आखिर क्यों?
जवाब- यह प्रशासनिक और सतत चलने वाली प्रक्रिया है। टोल खत्म करने वाला बड़ा निर्णय है। यह बड़ी हिम्मत का काम है। इतने सारे काम है कि मैं ही भूल जाता हूं कि कौन सा बताना है। सवाल- निगम मंडलों की नियुक्तियां कब तक होंगी?
जवाब- नीचे तक करने वाले हैं। संगठन के चुनाव तो हो जाने दीजिए। सवाल- आपने कहा था कि जो सबसे ज्यादा सदस्य बनाएगा उसका ध्यान रखेंगे?
जवाब- बिल्कुल। पक्का ध्यान रखेंगे। सवाल- निकट भविष्य में मंत्रिमंडल में विस्तार की कोई संभावना लगती है?
जवाब- हमारे परिवार में सिस्टम है। राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री सब मिलकर निर्णय करते हैं। सबकी राय से निर्णय हो जाएंगे। सवाल– प्रहलाद पटेल और कैलाश विजयवर्गीय कैबिनेट मीटिंग में नहीं आ रहे हैं, इसकी कोई खास वजह?
जवाब- ऐसा कुछ नहीं है। पिछली मीटिंग में ऑनलाइन जुड़े थे। ऐसी बातों का कोई सिर पैर नहीं है। हमारे यहां सारी बातों को परिवार के भाव से लिया जाता है। हमारे यहां डिक्टेटरशिप नहीं है। लोकतांत्रिक व्यवस्था है, जिसमें हम सहजता से बात करते हैं। विचार-विमर्श कर निर्णय करते हैं और सब लागू करते हैं। सवाल- विजयपुर उपचुनाव क्यों हारे, कहां कमी रह गई?
जवाब- भाजपा तो वहां हारी ही नहीं है। सीट कांग्रेस की थी, कांग्रेस जीती है। हमारी तो सीट थी ही नहीं। वे (रामनिवास रावत) हमारे पास में खुद आए तो हमने उनको जोड़ा, लेकिन वहां पहले जितने वोट से कांग्रेस जीती थी, इस बार उतने वोट नहीं मिले। कांग्रेस खुद की जीत का नरेटिव बना रही है, जबकि जिन तीन सीटों पर उप चुनाव हुए, उनमें से दो सीट कांग्रेस की थी और एक भाजपा की थी। भाजपा की सीट भाजपा के पास ही है। जबकि कांग्रेस की दो सीटों में से एक हमने जीत ली। कांग्रेस दो में से एक हार गई। 50% रिजल्ट तो उनका रहा। वे इसे 100% बताएं तो बताते रहें। यह उनका अपना तरीका है। कांग्रेस लोकसभा में साफ हो गई। अमरवाड़ा में भी हार गई। अभी 7 निकायों में से 6 में साफ हो गई। ऐसे में उनका अपना ढोल बजाने का तरीका है तो खूब बजाएं। सवाल- सरकार हमेशा कहती है बजट की कमी नहीं है लेकिन बच्चों को लैपटॉप, स्कूटी नहीं मिल पा रही है?
जवाब – दोनों बात में फर्क है। कुछ योजनाएं 1 साल के लिए थी, इसलिए उसे लगातार देते रहना यह थोड़ा ज्यादती हो जाएगी। कुछ योजना लगातार वाली थी, वो चल रही हैं। जो 1 साल की योजना थी उसको हम हर साल कैसे करेंगे? हमने कहा कि सरकार की जो योजनाएं रेगुलर हैं, वह बंद नहीं होगी। सवाल- बीजेपी के संकल्प-पत्र में गेहूं को 2700 रुपए और धान को 3100 रुपए करने की बात थी, वह कब तक करेंगे?
सीएम- हमने तो लागू कर दिया। हमने सवा सौ रुपए बोनस पिछली बार चालू किया था। जैसे-जैसे भारत सरकार की एमएसपी बढ़ती जाएगी, हम उसको बढ़ाते जा रहे हैं। हमने कहा कि 5 साल की सरकार है, 5 साल में 2700 हो जाएगा। संकल्प पत्र तो 5 साल में पूरा होगा। यह भाजपा की जुबान है, वादा पूरा होगा। कांग्रेस तो 50 साल तक कहती रही कि गरीबी हटाएंगे। उनकी सरकार बनती रही, गरीबी कहां हटी? कांग्रेस हट गई। कांग्रेस ने सिवाय झूठ बोलने के कोई काम नहीं किया। कांग्रेस की कमजोरी देखिए आजादी के बाद से कांग्रेस चुनाव जीतती रही, लेकिन कभी डेवलपमेंट को पसंद नहीं किया। परिणाम ये रहा कि जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी जैसे नेता दिल्ली से चुनाव नहीं लड़े, क्योंकि दिल्ली की जनता हिसाब पूछ लेगी। इसलिए रायबरेली, अमेठी जाते हैं। उनको एक और जगह मिली वायानाड। सवाल – आपका एक साल का सफर कैसा रहा? कैसे आकलन करते हैं?
जवाब – सरकार जो काम करती है उसका मूल्यांकन समाज करता है। मुझे इस बात का संतोष है कि समाज में उसकी प्रतिक्रिया सकारात्मक आ रही है। सवाल- एक साल के दौरान सबसे बड़ा फैसला कौन सा है?
जवाब – केन-बेतवा को जोड़ने का प्रोजेक्ट। इसमें हमारी साढे़ आठ लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होगी। ढाई लाख हेक्टेयर उत्तर प्रदेश का रकबा सिंचित होगा। मध्यप्रदेश के 10 जिलों को फायदा मिलेगा। जल के लिए कष्ट में रहे बुंदेलखंड में जल से ही क्रांति आएगी। पूरा बुंदेलखंड बदलेगा। इसी तरह पार्वती, काली सिंध और चंबल लिंक योजना से चंबल से मालवा तक फायदा मिलेगा। राजस्थान के साथ हमारा 20 साल से मुकदमा चल रहा था। हमें इस बात का संतोष है कि हमने 1 साल के अंदर दोनों बड़े नदी जोड़ो अभियान अमल में ला दिए हैं। हर जिले में पुलिस बैंड, थानों की सीमाओं का पुनर्निर्धारण, 55 जिलों में पीएम एक्सीलेंस कॉलेज और इंदौर-उज्जैन सिक्स लेन जैसे बड़े प्रोजेक्ट भी महत्वपूर्ण निर्णय रहे। सवाल- रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में हो रहे करारों को जमीन पर लाने के लिए क्या कर रहे हैं?
जवाब- हर रीजनल कॉन्क्लेव में पिछली समिट के लोकार्पण-भूमिपूजन स्क्रीन पर ही हो रहे हैं। इससे साबित होता है कि हमने पुराने समय में कोई घोषणा या एमओयू किया है, उस पर ठोस काम हुआ है। यह सतत चलेगा। रुकने वाला नहीं है। सवाल- रीजनल कॉन्क्लेव का कॉन्सेप्ट कैसे आया ?
जवाब- अगर इंडस्ट्रियल ग्रोथ नहीं होगी तो हमारा प्रदेश कैसे आगे जाएगा। भौगोलिक रूप से हमारा बड़ा प्रदेश है। इंदौर में समिट करते थे तो उज्जैन में क्यों नहीं करना चाहिए? हमने तो इस मिथक को तोड़ा। जैसे कहा जाता है कि उज्जैन में राजा रात नहीं रहेगा। अरे भैया, मुख्यमंत्री हैं, कोई राजा नहीं है। हम तो रात रहे। ऐसे ही हमने कहा कि संभाग स्तर पर समिट क्यों नहीं हो सकती और हुई।