सीजीएमएससी की 56 करोड़ की खरीदी में एक और खेल:जिस सीटी स्कैनर के लिए एक्सपर्ट ने मना किया नई कमेटी बनाकर उसे दूसरी बार में मंजूर कराया

सरकारी दवा उपकरण क्रेता कंपनी सीजीएमएससी की एक और मामला सामने आया है। अब 56 करोड़ की 11 सीटी स्कैनर खरीदी में गड़बड़ी कर दी गई है। भास्कर पड़ताल में पता चला है जिस सीटी स्कैनर की खरीद के लिए टेक्निकल एक्सपर्ट ने मना कर दिया। बाद में उसी मशीन के लिए दोबारा नई कमेटी बनाकर सौदा फाइनल कर दिया गया। भास्कर ने हाल ही में उजागर किया था कि बाजार मूल्य से 21 करोड़ अधिक दाम पर 11 मशीन सीजीएमएससी से खरीद रहा है। सीजीएमएससी ने 128 स्लाइस की एक और 32 स्लाइस की 10 मशीनों की खरीदी का एक एजेंसी से करार किया। पड़ताल में सामने आया कि एजेंसी को फायदा पहुंचाने के लिए जानबूझकर इसमें नियमों को अनदेखा किया गया। भास्कर को ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जिनसे ये पूरा गड़बड़झाला उजागर हो रहा है। मार्च 2024 में सीजीएमएससी ने राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज के लिए 128 स्लाइस सीटी स्कैनर खरीदने का टेंडर निकाला था। एजेंसी ने 8 जून 2024 नागपुर के रामदास पेठ में इस मशीन का डेमो रखा। इसमें राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज के रेडियोलॉजी विभाग के एक्सपर्ट शामिल हुए। डेमो देखने के बाद उन्होंने रिपोर्ट में बताया कि जिन फीचर्स और सुविधाओं की एजेंसी बात कर रही है। वो इसमें हैं ही नहीं। लिहाजा एक्सपर्ट ने मशीन को रिजेक्ट कर दिया। एजेंसी को फायदा पहुंचाने के लिए डीएमई ने दोबारा कमेटी बनवाई
4 जून 2024 को लिखे पत्र क्रमांक 2255 के आधार पर 8 जून 2024 को नागपुर में मशीन का डेमो हुआ। तब राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज के रेडियोलॉजी एक्सपर्ट ने 12 जून को सीजीएमएससी को पत्र लिखा। इसमें 20 पेज की रिपोर्ट में आधा दर्जन से अधिक पॉइंट्स के आधार पर स्कैनर की खरीदी पर लिखित असहमति जताई। एक्सपर्ट की रिपोर्ट में मशीन खारिज होने के 13 दिन बाद संचालक डीएमई ने 25 जून 2024 को दो सदस्यों की एक नई टीम बना दी। जिसके आधार पर ये टेंडर हुआ। एजेंसी ने जिन सुविधाओं के लिए किया करार, वो भी नहीं दी
एक्सपर्ट्स की रिपोर्ट के अनुसार एजेंसी ने जिन सुविधाओं का करार किया था। वो मशीन में नहीं थीं। इसमें कैमरे का अपार्चर 75 सेमी होना चाहिए, पर अपार्चर 70 सेमी मिला। इसी तरह कांप्रिहैंसिव पैकेज के तहत न्यूरो पेशेंट की जांच के लिए जो फीचर होने चाहिए, वो भी सप्लायर नहीं दे रहा था। कैंसर मरीजों की जांच के लिए सीजीएमएससी ने मशीन में जो फीचर चाहे थे, वो पैकेज में नहीं ​थे। नागपुर में डेमो देखने के बाद एक्सपर्ट ने स्कैनर नहीं लेने की सलाह दी थी। दूसरी बार कमेटी डीएमई द्वारा बनाई गई ^वेंडर ने आशंकाओं के समाधान के लिए नए एक्सपर्ट के सामने डेमो दिखाने की मांग राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज से की थी। इसके बाद डीएमई द्वारा दोबारा कमेटी बनाई गई। दूसरी कमेटी बनाने का निर्णय हमारा नहीं था। टेंडर में 80 दिन तक वक्त दिया गया, लेकिन दूसरी एजेंसी नहीं आई। जो एजेंसी आई, उसे फाइनल किया गया। -पद्ममिनी भोई साहू, आईएएस, एमडी सीजीएमएससी​​​​​​​

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