सुखबीर पर विधायक अय्याली का पलटवार:बोले- बादल निजी हितों को त्यागें,पार्टी में हो रही गलतियों का विरोध करना क्या गद्दारी है?

पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। दो दिन पहले शिअद प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने हलका दाखा के विधायक मनप्रीत सिंह अय्याली को “गद्दार” कहा था। बादल ने यह भी कहा था कि अय्याली के हलके में जो भी विकास के काम हुए हैं, वे उन्हीं की वजह से हुए हैं। विधायक अय्याली का सुखबीर बादल पर पलटवार बादल द्वारा “गद्दार” कहे जाने पर विधायक मनप्रीत सिंह अय्याली ने पलटवार करते हुए कहा कि पार्टी में हो रही गलतियों के खिलाफ आवाज उठाना गद्दारी नहीं है। उन्होंने कहा, “बीते दिन सुखबीर बादल ने मुझे गद्दार कहा, लेकिन क्या वह यह बता सकते हैं कि पार्टी में हो रही गलतियों का विरोध करना गद्दारी है? शिअद का झंडा हमेशा बुलंद रखा
अय्याली ने कहा कि उनकी और अन्य नेताओं की राजनीतिक छवि शिरोमणि अकाली दल के कारण ही बनी है। हमेशा पार्टी का झंडा बुलंद किया है, लेकिन पार्टी द्वारा की गई गलतियों पर सवाल उठाना जरूरी है। अय्याली ने कहा-सुमेध सैनी को डीजीपी बनाना, सिरसा मुखी को माफी देना, डेरे की हिमायत लेना, किसानी मुद्दों पर पार्टी की नीतियां गलत थी जिस कारण आवाज उठानी पड़ी। अय्याली ने कहा कि जब किसान आंदोलन के दौरान 700 किसान शहीद हो गए थे, तब भी उन्होंने पार्टी की गलत नीतियों का विरोध किया और राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा से गठजोड़ टूटने के बावजूद पार्टी के फैसले के खिलाफ जाकर वोट नहीं दी। अय्याली ने यह भी कहा कि झूंदा कमेटी बनाई गई थी, जिसमें पंजाब के वर्करों की भावनाओं को बताया गया, लेकिन सुखबीर बादल ने इसे नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने कहा कि 2 दिसंबर को श्री अकाल तख्त साहिब से हुक्मनामा जारी हुआ और एक कमेटी बनाई गई, जो भर्ती करेगी। अय्याली ने दावा किया कि पूरे पंजाब में लोग फिर से अकाली दल से जुड़ने के लिए तैयार हैं। अय्याली ने सुखबीर बादल को सलाह दी कि अगर वह पार्टी के प्रति वफादार हैं, तो अपने निजी हितों को त्यागें और प्रधानगी की कुर्सी छोड़ दें। उन्होंने कहा कि सभी लोगों को साथ जोड़ने की जरूरत है। अय्याली ने कहा कि उन्हें पार्टी ने बहुत कुछ दिया है और वह हमेशा पंजाबियत, किसानी और पार्टी के लिए काम करते रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने सरकार में रहते हुए कभी कोई निजी लाभ नहीं लिया। अय्याली ने कहा कि पार्टी के प्रति वफादारी और ईमानदारी का फैसला पंथ और किसानों को करना है।

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