सुपेबेड़ा गांव के पानी में हैवी मेटल…:किडनी फेल होने से 98 मौतें हो चुकीं, सात साल बाद भी 1.5 किमी दूर तेल नदी से नहीं पहुंचा पानी

प्रशांत गुप्ता/अमिताभ अरुण दुबे की रिपोर्ट गरियाबंद जिले के आखिरी गांव सुपेबेड़ा में हैवी मेटल वाला पानी किडनी पर कहर ढा रहा है। ग्रामीण 20 साल से किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं। क्रोनिक किडनी डिसीज (सीकेडी) के फैलने के बाद राज्य सरकार ने देश के बड़े संस्थानों के साइंटिस्ट्स को बीमारी के कारण का पता लगाने गांव में बुलवाया। रिपोर्ट में पानी में हैवी मेटल की पुष्टि हुई तो सरकार ने साफ पानी देने का ऐलान कर दिया। गांव से 1.5 किमी दूर तेल नदी से पानी लाने, टंकी बनाने, घर-घर पाइपलाइन बिछाने के लिए 2017-18 में सात करोड़ रु. की परियोजना को मंजूरी भी दे दी। पर ये परियोजना 7 साल बाद भी पूरी नहीं हो सकी। भास्कर इन्वेस्टिगेशन में खुलासा हुआ है कि 3 साल से पानी टंकी बन रही है। फिल्टर प्लांट अधूरा है। भास्कर टीम ने मौके पर पाया कि ग्रामीण आज भी उन्हीं बोरवेल, हैंडपंप का पानी पीने को मजबूर हैं, जो किडनी खराब कर रहा है। स्वास्थ्य केंद्र से कुल 38 मरीज किडनी संबंधी दवा ले रहे हैं। दूसरी तरफ, सैकड़ों लोग सिर्फ इस डर से ब्लड सैंपल नहीं दे रहे कि कहीं वे भी किडनी की बीमारी से पीड़ित न निकल जाएं। 72 लाख रुपए की लागत से लगे फिल्टर प्लांट भी खराब हैं। हालात ये हैं कि गांव में किडनी फेल से 98 मौतें हो चुकी हैं। रमन सरकार के आखिरी कार्यकाल में इनके परिजन को 75-75 हजार रुपए मुआवजा दिया गया। सरकारी चिंता का ये हाल: 3 साल से बन रही टंकी, फिल्टर प्लांट बंद…38 मरीज दवा ले रहे, 1 डायलिसिस पर आप बीती: 5 साल से किडनी रोग से पीड़ित प्रेमजय, बोले- चार साथियों को मरते देखा, पत्नी रोज 3 टाइम करती है डायलिसिस 46 साल के प्रेमजय क्षेत्रपाल 5 साल से डायलिसिस पर हैं। घर पर एक डायलिसिस रूम बनाया है, पत्नी पूनम रोज 3 बार डायलिसिस करती हैं। भास्कर टीम 2 दिसंबर की शाम 6 बजे उनके घर पहुंची। उन्होंने रोते हुए कहा कि मैंने 5 साल में अपने 4 दोस्तों, गांववालों को इस बीमारी से मरते देखा…। मुझे पता ही नहीं ​था कि मैं किडनी जैसी घातक बीमारी से पीड़ित हूं। खेतों में काम करता था। घर-परिवार चला रहा था। मेरे पिताजी की मृत्यु किडनी फेल होने से हुई। 10 साल पहले गांव में कैंप लगा, तब पता चला कि मेरी दोनों किडनी खराब हैं। एम्स के डॉक्टरों ने कहा- आपको डायलिसिस के सहारे ही जीना होगा…। मेरी सांसें सिर्फ मेरी पत्नी और परिवार की हिम्मत से चल रही हैं। पूनम कहती हैं कि पिछली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री 2 बार, इस सरकार के स्वास्थ्य मंत्री 1 बार आए थे। नौकरी का आश्वासन दिया, मगर मिली नहीं। कलेक्टर भी नही सुनते। जैसे-तैसे परिवार चल रहा है। ये हैवी मेटल मिले
आर्सेनिक से त्वचा पर काले-भूरे धब्बे, हाथ-पैर में जलन और छाले आते हैं। इससे स्किन कैंसर, फेफड़े-लिवर का कैंसर, डायबिटीज, हार्ट अटैक, गर्भपात तक खतरा है। फ्लोराइड ज्यादा होने पर दांत पीले-भूरे होकर टूटने लगते हैं (फ्लोरोसिस) हड्डियां टेढ़ी हो सकती हैं। बच्चों में बौनापन आ सकता है। क्रोमियम की अधिकता से नाक-गले में छाले, बार-बार खांसी, सांस की तकलीफ से फेफड़ों का कैंसर, अस्थमा, एलर्जी और किडनी खराब हो सकती है। मरीज केसरी बोले- 3.6 है क्रिए​टिनिन, मैं दवा नहीं लेता- गांव की किराने दुकान के बाहर केसरी पुरैना (55) मिले। बोले- मेरी क्रिए​टिनिन 3.6 है, पर दवा नहीं ले रहा। क्यों- बोले ठीक है क्या जरूरत है। पुरुषों की 0.7 से 1.3mg/dl के बीच होना चाहिए। केशरी जैसे कई मरीज दवा नहीं ले रहे। नए मरीजों का एम्स में चल रहा इलाज
^अक्टूबर में हुई जांच में सीकेडी के 5 नए मरीज मिले। इनमें से 3 का एम्स रायपुर में इलाज चल रहा है। 2 मरीज 70 साल के हैं, जो एम्स नहीं जा रहे हैं। किडनी के 2 पुराने और मरीज भी हैं।
-डॉ. यूएस नवरतन, सीएमएचओ, गरियाबंद सरकार का जवाब- लगातार रिव्यू जारी सुपेबेड़ा में तेल नदी से पानी की सप्लाई के प्रोजेक्ट का वर्क ऑर्डर 2023 में हुआ था। मार्च 2026 तक प्रोजेक्ट पूरा करने की समय-सीमा है। तब तक सुपेबेड़ा सहित 9 गांव तक शुद्ध पानी पहुंचाने का काम पूरा कर लेंगे। पानी की टंकी, इंटेकवेल, फिल्टर प्लांट के काम 60% काम हो चुके हैं।
-अरुण साव, उपमुख्यमंत्री एवं पीएचई मंत्री रोगियों की नियमित स्क्रीनिग भी की जा रही है। किडनी के गंभीर मरीजों के लिए गरियाबंद में एक क्रिटिकल केयर यूनिट भी बनाई है। शुद्ध पेयजल के लिए वैकल्पिक प्रबंध किए गए हैं। पानी की समस्या के स्थायी समाधान के लिए कलेक्टर को निर्देशित भी किया है। जल्द ही नई व्यवस्था शुरू होगी।
-श्यामबिहारी जायसवाल, स्वास्थ्य मंत्री

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