दिल्ली ब्लास्ट के आतंकी मॉड्यूल में शामिल लेडी आतंकी डॉ. शाहीन सईद और डॉ. मुजम्मिल शकील ने जांच एजेंसियों की पूछताछ में पूरे नेटवर्क का सरगना डॉ. उमर नबी को बताया है। आतंकी डॉ. नबी ने 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किला के बाहर विस्फोट से भरी कार के साथ खुद को उड़ा लिया था। फरीदाबाद के फतेहपुरा तगा और धौज में मिले विस्फोटकों और दिल्ली ब्लास्ट से लिंक के मामले में डॉ. शाहीन और डॉ. मुजम्मिल की गिरफ्तारी हुई। करीब 25 दिन से दोनों से नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) पूछताछ कर रही है। जांच एजेंसी के सूत्रों ने बताया कि दोनों ही अब पूरे नेटवर्क का सरगना सुसाइड बॉम्बर बने डॉ. उमर नबी को बता रहे हैं। दोनों का कहना है कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी में विस्फोटक जुटाने, उसकी टेस्टिंग और फिर दिल्ली ब्लास्ट तक का पूरा काम उमर ने किया था। दोनों ही जांच एजेंसी के सामने बार-बार बयान बदल रहे हैं। दोनों ने एजेंसी को यह भी बताया कि अस्पताल के कर्मचारी और इलाज के लिए आने वाले लोगों को अपने नेटवर्क में शामिल करने का प्लान उमर का था। जिसका मकसद था कि लोकल सपोर्ट पाकर वो आसानी से चीजों को हासिल कर सकते थे और किसी को शक भी ना होता। इसके लिए ऐसे लोगों को चुना जाता था, जो बेहद गरीब और जरूरतमंद होते थे। टारगेट तलाशने के बाद पूरी जानकारी डॉ. नबी तक भेजी जाती थी
लोकल लॉजिस्टिक सपोर्ट के लिए टारगेट तलाश करने के बाद उसकी पूरी जानकारी डॉ. उमर तक भेजी जाती थी। इसके बाद वह तय करता था कि क्या करना है। कौन उनके साथ काम करेगा, किसको कितना पैसा देना है, किसको कहां काम पर लगाना है, इसकी पूरी प्लानिंग उमर द्वारा की जाती थी। उमर विस्फोटक सामग्री को तैयार करने के बाद उसका कुछ हिस्सा जम्मू-कश्मीर लेकर जाना चाहता था। इसकी वह तैयारी कर रहा था, लेकिन जम्मू पुलिस द्वारा मुजम्मिल के पकड़े जाने के बाद वह I20 गाड़ी को लेकर गायब हो गया। सबसे बड़ा हमला करने की साजिश थी
सूत्रों की जानकारी के मुताबिक लेडी आतंकी शाहीन ने अपने बयान में बताया कि सुसाइड बॉम्बर डॉ. उमर उल नबी ने देश में अब तक के सबसे बड़े आतंकी हमले को अंजाम देने की साजिश का प्लान तैयार किया था। इसके लिए उसी ने सारा प्लान तैयार किया था। उमर नबी ने ही अपने प्लान में सभी को शामिल किया था। उमर ने ही मुजम्मिल के साथ मिलकर विस्फोटक सामग्री को एकत्रित किया था। उमर नूंह और मेवात से फर्टिलाइजर (विस्फोटक बनाने के लिए) लेकर आता था और अल-फलाह यूनिवर्सिटी के कमरा नंबर 4 में उसकी टेस्टिंग करता था। गाड़ी की खरीद उमर नबी ने की
शाहीन के अनुसार दिल्ली ब्लास्ट में जो i20 गाड़ी इस्तेमाल की गई, वह उमर ने ही खरीदी थी। गाड़ी खरीदने के लिए उमर ने उससे पैसे मांगे थे। जिस पर उसने 3 लाख रुपए गाड़ी खरीदने के लिए दिए थे। जांच एजेंसी सूत्रों के मुताबिक शाहीन ने करीब 26 लाख रुपए की फंडिंग इस नेटवर्क को की थी। इन पैसों का प्रयोग विस्फोटक खरीदने में किया गया था। अब यहां सिलसिलेवार ढंग से पढ़िए, क्या नए खुलासे हुए… दोनों जांच में नहीं कर रहे सहयोग
पुलिस सूत्रों के मुताबिक डॉ. शाहीन और डॉ. मुजम्मिल दोनों ही अपने बयानों में जांच एजेंसी अधिकारियों को उलझा रहे हैं। अल-फलाह यूनिवर्सिटी में जब शाहीन को हिरासत में लिया गया था, तब उसने अपनी गाड़ी की चाबी नहीं दी। कहा-चाबी गायब है। जब उसके कमरे की तलाशी ली गई तो ब्रेजा गाड़ी की चाबी मिली। बाद में इसी गाड़ी में से हथियार बरामद किए गए। दोनों इस नेटवर्क में अपनी भूमिका को लेकर खुद का बचाव करने की कोशिश में लगे हैं। दोनों इस आतंकी मॉड्यूल का मुखिया उमर को बता रहे हैं। दोनों का कहना है कि सिर्फ उमर के द्वारा दिए गए आदेश का पालन करते थे।


