सेहतनामा- बीपी हाई तो बढ़ता डायबिटीज का रिस्क:फैटी लिवर और मीनोपॉज में बढ़ती शुगर, क्या है इंसुलिन रेजिस्टेंस, जानें कैसे रहें सेफ

जिंदगी में सबकुछ अच्छा चल रहा है, आपको कोई तकलीफ नहीं है। तबीयत बिल्कुल सही लग रही है, लेकिन रूटीन चेकअप में डॉक्टर बताते हैं कि ब्लड प्रेशर हाई है तो आपको थोड़ी हैरानी हो सकती है। इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि अगर आपका बीपी हाई है तो बहुत संभावना है कि ब्लड शुगर भी ज्यादा होगा। दरअसल हाई ब्लड प्रेशर का सीधा कनेक्शन इंसुलिन रेजिस्टेंस से होता है, जिसके कारण टाइप-2 डायबिटीज भी हो सकता है। अब आपके मन में ये सवाल हो सकता है कि आखिर इंसुलिन रेजिस्टेंस क्यों बढ़ता है? इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। मसलन हाई बीपी या फैटी लिवर के कारण ऐसा हो सकता है। इन सभी कंडीशंस में शरीर का मेटाबॉलिज्म प्रभावित हो सकता है। जिसके चलते इंसुलिन ठीक से काम करना बंद कर देता है और धीरे-धीरे ब्लड शुगर बढ़ने लगता है। इसलिए ‘सेहतनामा’ में आज इंसुलिन रेजिस्टेंस की बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- इंसुलिन रेजिस्टेंस क्या है? हमारा शरीर एनर्जी के लिए ग्लूकोज का इस्तेमाल करता है, जो हमें खाने से मिलता है। इस ग्लूकोज को कोशिकाओं तक पहुंचाने का काम इंसुलिन नाम का हॉर्मोन करता है। इंसुलिन रेजिस्टेंस से ब्लड शुगर क्यों बढ़ता है? डॉ. साकेत कांत कहते हैं कि हमारे शरीर की कोशिकाएं जब इंसुलिन नाम की चाबी से आसानी से नहीं खुलती हैं तो कोशिकाएं ग्लूकोज को आसानी से अंदर नहीं ले पाती हैं। नतीजतन ग्लूकोज यानी शुगर ब्लड में ही जमा होती रहता है। जब ब्लड टेस्ट किया जाता है तो इसमें शुगर ज्यादा मिलता है। किन कंडीशंस में इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ सकता है? डॉ. साकेत कांत कहते हैं कि इंसुलिन रेजिस्टेंस सिर्फ ज्यादा चीनी खाने या मोटापे से ही नहीं बढ़ता है, बल्कि कुछ हेल्थ कंडीशंस भी इसे ट्रिगर कर सकती हैं। कुछ बीमारियों के कारण इंसुलिन की कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है। यह भी हो सकता है कि हमारी कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति पहले जितने सेंसिटिव न रहें। इन सभी कंडीशंस के कारण इंसुलिन रेजिस्टेंस क्यों बढ़ता है, इसे विस्तार से समझें- लो एस्ट्रोजन लेवल एस्ट्रोजन एक हार्मोन है जो खासतौर पर महिलाओं के शरीर में ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करता है। रजोनिवृत्ति (Menopause) या हार्मोनल असंतुलन के कारण अगर एस्ट्रोजन लेवल गिरता है, तो कोशिकाएं इंसुलिन को पहचानने में ढीलापन दिखाने लगती हैं। इस कारण इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ सकता है और वजन भी जल्दी बढ़ता है। फैटी लिवर जब लिवर में ज्यादा चर्बी जमा हो जाती है तो यह इंसुलिन के प्रति शरीर की संवेदनशीलता को कम कर देता है। फैटी लिवर वाले लोगों में टाइप-2 डायबिटीज का खतरा ज्यादा होता है क्योंकि उनका लिवर इंसुलिन के सिग्नल्स को ठीक से प्रोसेस नहीं कर पाता है। मीनेपॉज मीनेपॉज के बाद महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, खासकर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन में गिरावट आती है। ये दोनों हार्मोन इंसुलिन को ठीक से काम करने में मदद करते हैं। जब इनका स्तर कम हो जाता है, तो ब्लड शुगर को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है, जिससे इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ सकता है। हाई ब्लड प्रेशर हाई बीपी और इंसुलिन रेजिस्टेंस का गहरा संबंध है। जब ब्लड प्रेशर ज्यादा होता है, तो धमनियां सख्त होने लगती हैं, जिससे शरीर में ब्लड फ्लो कम हो जाता है और इंसुलिन का असर घट जाता है। ऐसे में इंसुलिन सही से काम नहीं कर पाता और शुगर ब्लड में जमा होने लगती है। हाइपोथायरायडिज्म जब थायरॉयड ग्लैंड सुस्त हो जाती है और शरीर में थायरॉयड हार्मोन कम बनने लगता है, तो मेटाबॉलिज्म धीमा पड़ जाता है। इससे शरीर में वजन बढ़ता है, इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ता है और ब्लड शुगर कंट्रोल में नहीं रहता। यही वजह है कि हाइपोथायरायडिज्म वाले लोगों में डायबिटीज का रिस्क ज्यादा होता है। इंसुलिन रेजिस्टेंस से जुड़े कॉमन सवाल और जवाब सवाल: अगर बीपी हाई है तो क्या डायबिटीज हो सकता है? जवाब: हां, हाई ब्लड प्रेशर और इंसुलिन रेजिस्टेंस के बीच सीधा संबंध है। जब आपका बीपी ज्यादा होता है, तो धमनियां संकरी और कठोर हो सकती हैं, जिससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है। इस स्थिति में इंसुलिन की प्रभावशीलता कम हो जाती है, और कोशिकाएं ग्लूकोज को सही से नहीं ले पातीं। नतीजतन, ब्लड में शुगर जमा होने लगता है और टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। सवाल: इंसुलिन रेजिस्टेंस को कैसे कम करें? जवाब: इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम करने के लिए कुछ आदतों में बदलाव जरूरी है: वजन कंट्रोल करें- अगर आप ओवरवेट हैं तो अपने वजन को धीरे-धीरे कम करने की कोशिश करें। रोजाना एक्सरसाइज करें- तेज चलना, साइक्लिंग, योग या कोई भी फिजिकल एक्टिविटी शरीर की कोशिकाओं को इंसुलिन के प्रति ज्यादा संवेदनशील बनाती है। हेल्दी डाइट अपनाएं- फाइबर युक्त खाना, हरी सब्जियां, नट्स, और हेल्दी फैट्स को अपनी डाइट में शामिल करें। चीनी और प्रोसेस्ड फूड से बचें। स्ट्रेस कम करें- ज्यादा तनाव लेने से कॉर्टिसोल हार्मोन बढ़ता है, जिससे इंसुलिन रेजिस्टेंस और बढ़ सकता है। ध्यान, योग और अच्छी नींद से इसे कंट्रोल किया जा सकता है। सवाल: क्या इंसुलिन रेजिस्टेंस से डायबिटीज हो सकती है? जवाब: हां, अगर इंसुलिन रेजिस्टेंस लंबे समय तक बना रहता है, तो यह धीरे-धीरे टाइप-2 डायबिटीज में बदल सकता है। शुरुआत में शरीर ज्यादा इंसुलिन बनाकर शुगर को कंट्रोल करने की कोशिश करता है, लेकिन जब पैनक्रियाज जरूरत से ज्यादा इंसुलिन बनाने में असमर्थ हो जाता है, तो ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने लगता है और डायबिटीज हो जाती है। इसलिए इंसुलिन रेजिस्टेंस को समय रहते कंट्रोल करना बहुत जरूरी है। सवाल: इंसुलिन रेजिस्टेंस का पता कैसे चलेगा? जवाब: इसके लक्षण शुरू में बहुत हल्के हो सकते हैं, लेकिन कुछ संकेतों पर ध्यान देना जरूरी है: अगर आपको ये लक्षण दिख रहे हैं तो डॉक्टर से सलाह लेकर टेस्ट करवाएं। सवाल: अगर वजन ज्यादा नहीं है तो क्या फिर भी इंसुलिन रेजिस्टेंस हो सकता है? जवाब: हां, वजन ज्यादा होना एक कारण है, लेकिन अकेला कारण नहीं। कुछ लोग स्लिम दिखते हैं लेकिन उनके शरीर में विसरल फैट यानी एक्स्ट्रा चर्बी से इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ सकता है। साथ ही, फैटी लिवर, हाई बीपी और हार्मोनल असंतुलन जैसे कारण भी इसे ट्रिगर कर सकते हैं। …………………….
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