आयकर विभाग की बेनामी विंग ने आरटीओ के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उसके सहयोगी चेतन सिंह गौर को 250 पेज का शोकॉज नोटिस सौंपा है। इस विंग ने इसके साथ ही राजधानी के मेंडोरी में आयकर विभाग द्वारा जब्त किए गए 52 किलो गोल्ड, 11 करोड़ 61 लाख कैश और इनोवा कार को बेनामी प्रतिषेध अधिनियम के अंतर्गत अटैच कर लिया है। इस प्रॉपर्टी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा भी अटैच किया जा चुका है और कोर्ट में पेश चालान में इसका जिक्र किया गया है। आठ अप्रैल को ईडी द्वारा सौरभ शर्मा, चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल के विरुद्ध पीएमएलए 2002 के अंतर्गत चालान पेश किया जा चुका है। इसके बाद अब आयकर विभाग की बेनामी विंग ने भी लंबे समय तक सौरभ शर्मा, चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल के साथ की गई पूछताछ के बाद मेंडोरी में जब्त किए गए गोल्ड, कार और कैश को जब्त किया है। आयकर विभाग की बेनामी विंग ने यह संपत्ति जब्त करने के पहले सौरभ शर्मा और चेतन सिंह गौर को बेनामी प्रतिषेध अधिनियम के अंतर्गत शोकॉज नोटिस भी दिया है। इस नोटिस का जवाब दोनों ही आरोपी तीन माह के भीतर दे सकते हैं। नोटिस का जवाब न देने पर होगी कार्रवाई सौरभ शर्मा और चेतन सिंह गौर शोकॉज नोटिस मिलने के 90 दिन में अगर अपना जवाब पेश नहीं करते हैं या फिर आयकर विभाग की बेनामी विंग उनके जवाब से संतुष्ट नहीं होती है, तो एक बार फिर बेनामी प्रतिषेध अधिनियम में इन प्रॉपर्टीज को अटैच करने की कार्रवाई की जाएगी। एडजुकेटिंग अथॉरिटी करेगी अंतिम फैसला बेनामी विंग द्वारा अटैच की गई कार, गोल्ड और कैश के मामले में अंतिम फैसला आयकर विभाग की एडजुकेटिंग अथारिटी करेगी। तमाम साक्ष्यों को सुनने के बाद अथारिटी फैसला करेगी कि यह संपत्ति छोड़ना है या जब्त कर लेना है। इसके अलावा आयकर विभाग अपने स्तर पर इस मामले में अलग कार्यवाही कर सकता है। गोल्ड एजेंट प्रीतम का भी नाम आयकर विभाग की बेनामी विंग द्वारा की गई कार्यवाही में सौरभ को गोल्ड की सप्लाई करने वाले प्रीतम का भी नाम शामिल है। हालांकि अभी उसे बेनामी विंग ने पूछताछ करने नहीं बुलाया है। पर यह तय है कि वह गोल्ड लाकर सौरभ को देता था, जिसे सौरभ अपनी चेन को ट्रांसफर करता था। अटैचमेंट के बाद किसकी होगी प्रॉपर्टी जिस प्रॉपर्टी (गोल्ड, कैश और कार) को आयकर विभाग की बेनामी विंग ने अटैच किया है उसे ईडी पहले ही अटैच कर चुकी है। यह संपत्ति वर्तमान में आयकर विभाग की सीजर के बाद एसबीआई में रखी है। ऐसे में असली प्रॉपर्टी किसके पास जाएगी, इस सवाल के जवाब में आयकर अफसरों का कहना है कि उक्त प्रॉपर्टी आयकर विभाग के पास सीज है। लेकिन उससे अधिक अधिकार बेनामी विंग के पास हैं। इसलिए फाइनल क्लेम की स्थिति में बेनामी विंग के पास प्रॉपर्टी आ सकती है। ईडी ने अपनी चार्जशीट में भले ही इस प्रॉपर्टी को अटैच करने की बात कही है, लेकिन यह उनके पास नहीं है। अफसरों का कहना है कि वास्तव में इस प्रॉपर्टी पर क्लेम किसका होगा, यह आने वाले समय में ही साफ हो सकेगा।