स्पंदन के दूसरे दिन स्टूडेंट्स ने डांस के साथ क्ले मॉडलिंग, क्विज, डिबेट में भाग लिया

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी में चल रहे 3 दिवसीय यूथ फेस्टिवल स्पंदन के दूसरे दिन भी कई प्रतियोगिताएं हुईं। दूसरे दिन की शुरुआत शास्त्रीय नृत्य और लोक नृत्य के साथ हुई। प्रतिभागियों ने कॉलेज सभागार में 4 शास्त्रीय नृत्य कथक, कुचिपुड़ी और ओडिसी नृत्य प्रस्तुत किए गए। इसके अलावा झारखंड लोक नृत्यों को भी प्रस्तुत किया गया। मौके पर कुलपति डॉ. तपन कुमार शांडिल्य, कुलसचिव डॉ. नमिता सिंह मौजूद रहे। कुलपति डॉ. तपन कुमार शांडिल्य ने सभागार में उपस्थित प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि आत्मविश्वास एक दिन में नहीं आता, इसके लिए हमें छोटी-छोटी सफलताओं पर ध्यान देना होगा और हर असफलता से सीखना होगा। जब भी किसी काम में असफल हों, तो खुद को निराश न करें, बल्कि अपनी गलतियों से सीखकर फिर से कोशिश करें। इस अवसर पर पद्मश्री से सम्मानित मधु मंसूरी हंसमुख ने भी प्रतिभागियों को संबोधित कर प्रेरित किया। जीत के लिए दिमाग की कंडीशनिंग सबसे ज्यादा जरूरी है दो दिन पहले तक गैरी कास्परोव के नाम सबसे युवा वर्ल्ड चैस चैम्पियन का रिकॉर्ड था, जो कि साल 1985 में 22 साल की उम्र में अनातोली कारपोव को हराकर हासिल किया था। लेकिन इस गुरुवार को भारत के 18 वर्षीय डोम्माराजू गुकेश ने न िसर्फ उनका रिकॉर्ड तोड़ दिया, बल्कि विश्व खिताब भी भारत ले आए। ऐसे कई लोग होंगे, जिन्होंने इस युवा को यहां तक पहुंचाने में कड़ी मेहनत की होगी, जिसमें उसके माता-पिता के अथक परिश्रम के साथ, पूर्व वर्ल्ड चैंपियन विश्वनाथन आनंद की एकेडमी का भी योगदान है। लेकिन एक और व्यक्ति हैं, जिनकी बराबरी से सराहना की जानी चाहिए और वो हैं साउथ अफ्रीका के मेंटल कंडीशनिंग कोच पैडी अप्टन, जो कि साल 2011 में क्रिकेट वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम के साथ भी थे। इस हफ्ते इवेंट के दौरान जब गुकेश अच्छी तरह नहीं सो पा रहे थे, तब उन्होंने पैडी को बुलाया, जिन्होंने कुछ बदलाव बताए, इसमें माहौल बदलने का सुझाव था, जिसके बाद गुकेश आठ घंटे से ज्यादा सो सके और आखिरी कुछ गेम से पहले अपने दिमाग व शरीर को ऊर्जावान रख सके। यहां तक कि उनके पिता रजनीकांत, जिन्होंने डॉक्टरी का करियर पीछे छोड़ दिया, वे सारी प्रतिस्पर्धाओं में गुकेश के साथ होते हैं और इस बात को हमेशा प्राथमिकता देते हैं कि हर प्रतिस्पर्धा से पहले गुकेश एयरपोर्ट या विमान में सो सके। न सिर्फ आराम, बल्कि सोशल मीडिया से दूरी, मोबाइल की लत से बचना जैसे मुख्य तरीके हैं, जिससे दिमाग की कंडीशनिंग होती है और जीत पर फोकस रहता है। ताज्जुब नहीं कि इस सबसे युवा वर्ल्ड चैंपियन ने मैच के बाद जीत का जश्न मनाने से पहले चैसबोर्ड पर सारे पीस फिर से जमाए और बोर्ड को प्रणाम किया, यह गेम व ईश्वर के प्रति उनकी कृतज्ञता दर्शाने का तरीका था। इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप चैस खिलाड़ी हैं या नहीं। हर पेशेवर सफलता के लिए यही नियम लागू होते हैं। हुमा कुरैशी से पूछिए जिन्होंने कुछ दमदार किरदार निभाए हैं। उन्होंने कहा, “मैं बिना किसी पछतावे के कहती हूं कि मैं ओटीटी की महारानी हूं, जबकि बहुत से लोगों ने मुझे ओटीटी नहीं करने के लिए कहा था। वह मोबाइल फोन के बदले अपना फोकस अपने आसपास के लोगों पर रखती हैं और उनके व्यक्तित्व के कुछ खास पहलुओं को अपने काम में शामिल करती हैं। दर्शकों की सराहना के बारे में बात करते हुए, हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “पुरस्कार, प्रतिसाद, सब कुछ मायने रखता है। जो लोग कहते हैं कि ऐसा नहीं है, वे शायद झूठ बोल रहे हैं। एक कलाकार होने के नाते मुझे लोगों की प्रशंसा व स्वीकृति की जरूरत होती है। लेकिन क्या सिर्फ यही चीजें मायने रखती हैं? शायद नहीं। मुझे लगता है कि आपके आत्म-मूल्य का दूसरों से कोई लेना-देना नहीं है। इसके बिना भी, आप वही व्यक्ति रहते हैं।’ एक और युवा हैं, जो सचेत रहकर दिमाग को कंडीशन करने की कोशिश करती हैं, वो हैं दिल्ली की कलाकार अदिति शर्मा, जो क्रैश और रब से है दुआ जैसे शो का हिस्सा रहींं। रोचक है कि अदिति जैसी नई-नवेली अभिनेत्री की सोशल मीडिया पर दमदार उपस्थिति है, बावजूद इसके कि इन माध्यमों पर बहुत सारी नकारात्मकता है। इतनी कम उम्र में भी वह बहुत स्पष्ट हैं कि वो अभिनेत्री हैं, इंफ्लुएंसर नहीं। कलाकार होने के नाते उन्हें प्रशंसकों से जुड़े रहना है, तस्वीरें पोस्ट करनी है, और कभी-कभार ही उनसे संवाद करना है, लेकिन वह इंफ्लुएंसर्स वाले काम जैसे प्रमोशन, सलाह या किसी मुद्दे पर पक्ष रखने से बचती हैं। उनकी सबसे अच्छी आदत है कि वह फोन के जितने करीब होती हैं, उतनी ही दूर भी होती हैं। वह जीवन के हर पल या भावनाओं को हद से ज्यादा शेयर करने से दूर हैं। भले ही वह खुश हों या दुखी, वह इन्हें अपने तक ही रखती हैं। सचेत रहकर उन्होंने फोन या सोशल मीडिया की लत से दूर रहना चुना है। और मेरा यकीन करें, ये सभी लोग अपने वरिष्ठ मेंटर्स या मेंटल कंडीशनिंग कोच की सलाह के बिना कहीं सिर नहीं खपाते। एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु }raghu@dbcorp.in 06 स्पॉट फोटोग्राफी की थीम छाया व प्रतिबिंब में 8 ने भाग लिया रांची Ãशनिवार 14 दिसंबर, 2024 पद्मश्री मधु मंसूरी को सम्मानित करते वीसी। क्ले मॉडलिंग में स्टूडेंट्स ने क्रिएटिविटी दिखाई। प्रतियोगिता के विजेताओं को मिलेगा अवॉर्ड… शनिवार को यूथ फेस्टिवल का समापन होगा। 10 बजे से वन एक्ट प्ले, स्किट, माइम व मिमिक्री में स्टूडेंट्स अपनी एक्टिंग का हुनर पेश करेंगे। उसके बाद इंस्टॉलेशन सेरेमनी होगी। अंत में प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित किया जाएगा। दोपहर बाद क्विज प्रतियोगिता का अंतिम चरण आयोजित हुआ, जिसमें 11 प्रतिभागी चयनित हुए। डिबेट प्रतियोगिता में 41 प्रतिभागियों ने वैश्वीकरण, विकासशील देशों लिए लाभकारी है या नहीं विषय पर अपनी प्रस्तुति दी। स्पॉट फोटोग्राफी के तहत थीम छाया और प्रतिबिंब में 8 प्रतिभागियों ने अपनी हिस्सेदारी दिखाई। क्ले मॉडलिंग में 22 प्रतिभागियों ने और कोलाज के अंतर्गत बर्ड्स एंड फ्लावर्स थीम के तहत 9 प्रतिभागियों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। वहीं कार्टूनिंग प्रतियोगिता में आधुनिक जीवन पर आधारित थीम में 12 प्रतिभागियों ने भाग लिया। संचालित क्विज, डिबेट, स्पॉट फोटोग्राफी, क्ले मॉडलिंग, कोलाज और कार्टूनिंग तथा नृत्य प्रतियोगिताओं का संचालन डॉ. शुचि संतोष बरवार, डॉ. अभय सागर मिंज, डॉ. रजनी कुमारी, डॉ. अभय कृष्ण सिंह, डॉ. धनंजय द्विवेदी, डॉ. रीना नंद, डॉ. पीयूष बाला, डॉ. शमा सोनाली, धर्मजय कुमार, श्वेता कुमारी, डॉ. मनीषा, डॉ. जीसी बास्की ने अहम भूमिका निभाई। मैजिकल क्यूआर आज पढ़िए… टॉप ट्रेंडिंग हिंदी सॉन्ग्स फंडा यह है कि अगर आपका बच्चा स्मार्ट फोन में चौबीसों घंटे घुसा रहता है, तो समय आ गया है कि आप उनके मेंटल कंडीशनिंग कोच बनें या किसी प्रोफेशनल के पास ले जाएं।

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