मोहाली की सीबीआई कोर्ट ने 32 साल पुराने मामले में जिला तरनतारन के थाना सरहाली के तत्कालीन एसएचओ सुरिंदरपाल सिंह को अपहरण, अवैध हिरासत और लापता होने के मामले में दोषी करार देकर 10 साल की कैद और 5 लाख 70 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। कोर्ट ने आदेश में कहा कि अगर दोषी जुर्माना नहीं भरता है तो 2 साल और जेल काटनी होगी। अक्टूबर 1992 में वाइस प्रिंसिपल सुखदेव सिंह और उनके ससुर सुलखन सिंह (80) (स्वतंत्रता सेनानी) निवासी भकना को पुलिस ने हिरासत में लिया था। 32 साल बाद फैसला }5.70 लाख रुपए जुर्माना अवतार सिंह ने बताया था कि सुखदेव सिंह और सुलखन सिंह को पूछताछ के लिए एसएचओ ने बुलाया है। फिर उन्हें थाना सरहाली में 3 दिन के लिए अवैध हिरासत में रखा गया। पीड़िता सुखवंत कौर ने शिकायत दी थी कि पति सुखदेव सिंह और ससुर सुलखन सिंह को आपराधिक मामले में फंसाया है, पर उनकी सुनवाई नहीं हुई। सुखदेव सिंह सरकारी स्कूल लोपोके (अमृतसर) में बतौर वाइस प्रिंसिपल थे और ससुर सुलखन सिंह बाबा सोहन सिंह भकना के सहयोगी थे। शिकायतकर्ता ने बताया कि 2003 में पुलिस ने उनसे संपर्क किया और खाली कागज पर साइन कराए। कुछ दिन बाद पति का डेथ सर्टिफिकेट उन्हें सौंप दिया, जिसमें लिखा था कि उनकी मौत 8 जुलाई, 1993 को हुई थी। परिवार को बताया गया कि हमले के दौरान सुखदेव की मौत हुई है और ससुर के साथ उनका शव हरिके नहर में मिला था। पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जांच के बाद सीबीएचआई ने नवंबर 1996 को पीड़िता के बयान दर्ज किए और मार्च 1997 को एएसआई अवतार सिंह, तत्कालीन एसएचओ सुरिंदरपाल सिंह व अन्य पर केस दर्ज किया था।