दो पुलिसकर्मी अगवा कर उनकी हत्या के 32 साल पुराने मामले में अदालत ने तत्कालीन एसएचओ, एसआई और एएसआई को उम्रकैद की सजा सुनाई है। दोषियों को 7 लाख रुपए जुर्माने की सजा भी सुनाई गई है। जुर्माना अदा नहीं करने पर जेल में 3 साल अतिरिक्त गुजारने होंगे। थाना सिटी तरनतारन के तत्कालीन एसएचओ गुरबचन सिंह, एसआई रेशम सिंह और एएसआई हंस राज सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। दिसंबर 2021 में एक आरोपी पुलिसकर्मी अर्जुन सिंह की मौत हो चुकी है। सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक जगदीप सिंह उर्फ मक्खन को एसएचओ गुरबचन सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम ने अगवा किया था। 18 नवंबर 1992 को अपहरण से पहले पुलिस ने घर पर फायरिंग की। फायरिंग के दौरान गोली लगने से मक्खन की सास सविंदर कौर की मौत हो गई थी। गुरनाम सिंह उर्फ पाली को गुरबचन सिंह और अन्य पुलिस अधिकारियों ने 21 नवंबर 1992 को उनके घर से उनका अपहरण किया था। फिर 30 नवंबर 1992 को गुरबचन सिंह के नेतृत्व वाली पुलिस पार्टी ने फर्जी पुलिस मुठभेड़ में दोनों की हत्या कर दी। पंजाब पुलिस की एफआईआर को पीड़ित के वकील ने झूठा साबित कर दिया। इस तरह झूठी पाई गई पुलिस की कहानी… पीड़ित के वकील सरबजीत सिंह वेरका, जगजीत सिंह और पुष्पिंदर सिंह नत्त के मुताबिक उक्त मामले में दोषियों को सजा तक पहुंचाने के लिए उनकी ओर से दर्ज की गई झूठी एफआईआर और जिस बाग में मुठभेड़ दिखाई गई है, उसमें काम करने वाले दिहाड़ीदार के बयान से आरोपियों को सजा दिलवाई गई। उसने बयान दिया कि उस बाग में कोई भी पुलिस मुठभेड़ या गोलीबारी नहीं हुई बल्कि उस दिन उक्त दिहाड़ीदार की बेटी के साथ एक थानेदार महंगाराम द्वारा ज्यादती की गई।