हरियाणा में स्वतंत्रता सेनानी सरदार बाज सिंह का निधन:104 वर्ष के थे, 1932 में अंग्रेजों के जजिया टैक्स के खिलाफ आंदोलन किया था

हरियाणा के हिसार में स्वतंत्रता सेनानी सरदार बाज सिंह का 104 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। रविवार 26 जनवरी को हिसार के सपड़ा अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। बाज सिंह का आज राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार गांव बीड़ बबरान में किया जाएगा। सरदार बाज का परिवार मूलत अमृतसर के गांव सोहल का रहने वाला है। सरदार बाज सिंह ने अंग्रेजों के जमींदारों पर लगाए जजिया टैक्स एक एकड़ एक रुपया के खिलाफ लाहौर में आंदोलन किया था और टैक्स वापस करवाया था। संयुक्त पंजाब सरकार ने स्वतंत्रता सेनानी के परिवार को 12 एकड़ जमीन हिसार में दी थी। इनके साथ शहीद भगत सिंह के परिवार को भी हिसार में जमीन दी गई थी। बाज सिंह के बेटे कुलबीर सोहल ने बताया कि उनके पिता जी की तरह दादा भी स्वतंत्रा सेनानी थे। दादा जत्थेदार खेम सिंह ने आजादी की लड़ाई लड़ी थी। दादा जी ने बबर लहर के जरिये लड़ाई लड़ी। देश को आजाद करवाया। दादा खेम सिंह ने ही अमृतसर के अंदर पहला तिरंगा फहराया था। कुलबीर सोहल ने बताया कि संयुक्त पंजाब के मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों ने पिता बाज सिंह जी को हिसार के गांव बीड़ बबरान में 12 एकड़ जमीन दी थी। शहीद भगत सिंह के परिवार को भी गांव बीड़ बबरान में जमीन मिली थी मगर अब वह जमीन बेचकर जा चुके हैं।

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