पंजाब के लुधियाना जिले के रायकोट कस्बे में स्थित हलवारा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ानें जल्द शुरू होने वाली है। 27 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एयरपोर्ट का वर्चुअल उद्घाटन करेंगे। सूत्रों के मुताबिक पहले चरण में यहां से घरेलू उड़ानें शुरू होंगी। आज बातचीत करते हुए कैबिनेट मंत्री संजीव अरोड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वर्चुअल उद्घाटन के बाद जल्द ही फ्लाइट्स को शुरू करवा दिया जाएगा। ताकि कारोबारियों और लोगों को राहत मिल सके। यहां 172 सीटों वाला विमान आसानी से उतर सकेगा। हलवारा में बना एयरपोर्ट 161.28 एकड़ में फैला है। इस क्षेत्र में बना टर्मिनल एरिया 2,000 वर्ग मीटर है। जमीन को छोड़कर कुल परियोजना लागत करीब 70 करोड़ रुपए है। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने भी हलवारा में मॉडर्न सिविल एयर टर्मिनल के निर्माण कार्य के लिए 50 करोड़ रुपए पहले ही जारी कर दिए थे। 2007 में पास हुई थी एयरपोर्ट की योजना गौरतलब है कि लुधियाना में एयरपोर्ट बनाने की योजना 2007 में पास हुई थी। 2010 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इसका शिलान्यास करना था, लेकिन किसी कारणवश तमाम तैयारियों के बावजूद यह काम नहीं हो सका। इसके बाद पंजाब सरकार ने जमीन अधिग्रहण करने से मना कर दिया। दिसंबर 2018 में इस योजना पर दोबारा काम शुरू हुआ। इसमें एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की 51 फीसदी और पंजाब सरकार की 49 फीसदी हिस्सेदारी थी। हलवारा में लंबा रनवे और इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम हलवारा में लंबा रनवे और इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आईएलएस) है, जिससे विमान कम ऊंचाई पर भी उतर सकते हैं। इस बीच लुधियाना के लोग हलवारा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के शुरू होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। यातायात आंकड़ों के अनुसार प्रस्तावित परियोजना आधार वर्ष में 0.25 मिलियन यात्रियों और 2031-32 तक 1.38 मिलियन यात्रियों को संभालेगी। 172 बोइंग उड़ानों को संभालने की क्षमता होगी सूत्रों मुताबिक हलवारा हवाई अड्डे में 172 बोइंग उड़ानों को संभालने की क्षमता होगी, जबकि साहनेवाल में 172 सीटर एटीआर उड़ानों की क्षमता है। हवाई अड्डे की इमारत में अंतरराष्ट्रीय, घरेलू और कार्गो टर्मिनल सहित 3 टर्मिनल होंगे। रनवे की लंबाई अभी एयरपोर्ट अथारिटी ने साझा नहीं की। हलवारा हवाई अड्डा का इतिहास हलवारा वायु सेना स्टेशन एक भारतीय वायु सेना (IAF) बेस रहा है और इसका उपयोग द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सहयोगी वायु सेना के स्टेजिंग बेस के रूप में किया गया था और युद्ध के बाद इसे छोड़ दिया गया था। इसे 16 मार्च 1950 को भारतीय वायु सेना के तहत पुनः सक्रिय किया गया। एयरपोर्ट शुरू होने से ये होंगे फायदे एयरपोर्ट शुरू होने के बाद सबसे पहले घरेलू उड़ानें शुरू होंगी। जिसके बाद एएआई अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भी शुरू करेगा। अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू होने के बाद सबसे ज्यादा फायदा उन लोगों को होगा जो विदेश जाने के लिए अमृतसर, मोहाली और दिल्ली जाते थे। उन्हें दोबारा वहां नहीं जाना पड़ेगा। उद्योगपतियों के लिए बड़ी सुविधा होगी। कारोबारी आर्थिक रूप से मजबूत होंगे। आस-पास की रियल एस्टेट की कीमतें बढ़ेंगी।