हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी… कानून से ऊपर कोई नहीं, चाहे वह खुद डीजीपी ही क्यों न हो

झारखंड हाईकोर्ट में बुधवार को पुलिस एनकाउंटर में मारे गए अपराधी अमन साव की मां की सीबीआई जांच का आग्रह करने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस एनएन प्रसाद की खंडपीठ ने एनकाउंटर मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाई। अदालत ने मौखिक कहा कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, चाहें वे पुलिस महानिदेशक ही क्यों न हो। अदालत ने कहा कि अगर मामला संज्ञेय अपराध की श्रेणी में है तो प्राथमिकी होनी चाहिए। अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 29 अगस्त को निर्धारित की गई है। सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने अदालत को बताया कि उनकी इस मामले में हस्तक्षेप याचिका को स्वीकार किया जाए, क्योंकि उन्हें घटना के बारे पूरी जानकारी है। प्रार्थी की ओर से पूर्व में ही एनकाउंटर होने की आशंका जताई गई थी, क्योंकि डीजीपी ने अमन साहू को एनकाउंटर मामले की धमकी दी थी। प्रार्थी ने ऑनलाइन प्राथमिकी के लिए आवेदन दिया था, जिसमें डीजीपी अनुराग गुप्ता, रांची एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा, एटीएस एसपी ऋषभ झा और इंस्पेक्टर पीके सिंह को नामजद बनाया गया था। लेकिन, अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है। जबकि, सुप्रीम कोर्ट ने ललिता कुमार के मामले में अपने आदेश में कहा कि संज्ञेय अपराध में प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए।

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