हाईकोर्ट में मंगलवार को पेयजल स्वच्छता विभाग में कांट्रेक्ट पर कार्यरत कर्मचारियों को हटाने के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। जस्टिस डॉ. एसएन पाठक की अदालत ने सुनवाई के बाद प्रार्थियों को हटाने के आदेश पर रोक लगा दी है। अदालत ने कहा कि आउटसोर्स के आधार पर पूर्व में काम करने वाले कांट्रेक्टकर्मियों को नहीं हटाया जा सकता। अदालत ने राज्य सरकार से इस मामले में जवाब मांगा है। इससे पूर्व सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता नवीन कुमार ने अदालत को बताया कि प्रार्थी पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन में कांट्रेक्ट पर प्रखंडवार को-ऑर्डिनेटर के पद पर 2008 से काम कर रहे हैं। यह केंद्र सरकार की योजना है। राज्य के सभी जिलों में इन कर्मियों की नियुक्ति हुई थी। इस साल मार्च में सभी कर्मियों का वेतन रोक दिया गया। इसके बावजूद उनसे काम लिया जा रहा था। सितंबर में एक पत्र जारी कर इन कर्मचारियों को हटाने और आउटसोर्स के जरिए काम लिए जाने का निर्णय लिया गया। इस बीच चुनाव के चलते पत्र पर कार्रवाई नहीं हो पाई। सरकार बनने के बाद उन्हें काम करने से रोका जा रहा है।