नमस्कार संसद में विधि राज्य मंत्रीजी का शायराना अंदाज दिखा। विपक्ष को आइना दिखाने में भी उन्होंने गुदगुदाया। कोटा में फूल वाली पार्टी के पूर्व संगठन मुखिया से सवाल था मंत्रिमंडल विस्तार का। जवाब में जिक्र किया कुंवारों की शादी का। हॉरर फिल्में बनाने वाले डॉयरेक्टर की उदयपुर पुलिस ने ‘बायोपिक’ बना डाली। बाड़मेर में ‘भ्रष्टाचार’ की सड़क लोगों ने हाथों से उखाड़ दी। राजस्थान की राजनीति और ब्यूरोक्रेसी की ऐसी ही खरी-खरी बातें पढ़िए, आज के इस एपिसोड में… 1. मंत्रीजी का शायराना अंदाज भले ही बाप-दादा का आधार न मिलने के कारण वे गालिब चचा का नाम SIR में उड़वा देते और रोहिंग्या की सूची में डाल देते। लेकिन विपक्ष को आइना दिखाने में उन्हें चचा जान की जरूरत महसूस हुई। उन्होंने कहा- ताउम्र गालिब ये भूल करता रहा, धूल चेहरे पर थी और मैं आइना साफ करता रहा। यह बात उन्होंने सदन में कही थी, इसलिए माननीयों की खूद दाद मिली। सदन में उनका रुतबा ऐसा ही जैसा एक फिल्मी कॉलेज में ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ का। सादगी और सज्जनता में उनका कोई सानी नहीं। वे जब-जब बोलने खड़े होते हैं, माननीय मंद-मंद मुस्काने लगते हैं। चर्चा चुनाव सुधार पर चल रही थी। उन्होंने ‘त्वाडा कुत्ता टॉमी, साडा कुत्ता कुत्ता’ वाली तर्ज पर विपक्ष को जमकर आइना दिखाया। बोले- आप जीतें तो ईवीएम ठीक, हम जीतें तो ईवीएम खराब..ये कैसा विरोधाभास है। आप एसआईआर करें तो ठीक, हम करें तो खराब..ये कैसा विरोधाभास है। उनकी तुकबंदी में अपने अलफाज जोड़ते हुए पास बैठे माननीय बीच में बोल पड़े- आप कर्नाटक में जीतें तो ठीक, हम महाराष्ट्र में जीत जाएं तो खराब…। इस पर सब खिलखिला पड़े। 2. नेताजी बोले- कुंवारों को शादी का इंतजार कुंवारों की उम्र निकली जा रही है, लेकिन शादी का मुहूर्त ही नहीं निकल रहा। यह बात हम ‘युवाओं की बढ़ती उम्र और दुल्हनों की भारी कमी’ के संदर्भ में नहीं कह रहे हैं। हमारा तात्पर्य उतना ही राजनीतिक है, जितना सतीश पूनिया जी का। पूनिया जी फूल वाली पार्टी के पूर्व मुखिया। हरियाणा के प्रदेश प्रभारी। बिहार जीत के छुपे रुस्तम। निजी कार्यक्रम में कोटा पहुंचे थे। वहां पत्रकारों ने घेर लिया। सत्ता वाली पार्टी के वे नेता जिनका सीधा कनेक्शन दिल्ली से है, आजकल एक सवाल का सामना जरूर कर रहे हैं। सवाल है- राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार कब होगा? चूंकि सरकार के 2 साल पूरे हो चुके हैं और प्रश्न लाजिमी है। इसलिए नेतागण भी जवाब तैयार रखते हैं। पूनिया जी के पास भी जवाब तैयार था। उन्होंने घुमाकर कान पकड़ा। बोले- मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चा का माहौल बने रहना अच्छा है। इससे लोगों में उम्मीद कायम रहती है। उन्होंने ‘उम्मीद’ का सरलीकरण किया। कहा- जैसे कुंवारों को शादी का इंतजार रहता है, वैसे ही कुछ लोगों को मंत्री बनने की आस होगी। पत्रकार भी इशारों की भाषा से संतुष्ट नहीं। उसने प्रश्न को ‘संभावना’ में लपेटकर दोबारा रख दिया। पूनिया जी ने उसी लेवल का उत्तर दे दिया- देखते हैं क्या होता है, हर कुंवारे की कभी न कभी शादी तो होती ही है। 3. डायरेक्टर साहब की ‘हॉरर स्टोरी’ उनका नाम विक्रम भट्ट है। उन्होंने सिलसिलेवार डरावनी फिल्में बनाई। शापित, हॉन्टेड, राज, क्रिएचर, भूत, हैक। वे परदे पर नकारात्मक शक्तियां दिखाते हैं। कोई लालची प्रेतात्मा उनके दिमाग में घुस गई। इसके बाद भट्ट साहब ने उदयपुर के एक डॉक्टर साहब को शिकंजे में ले लिया। डॉक्टर साहब भी पत्नी की बायोपिक बनवाने के लिए इतने बेचैन हो गए कि उधर से डिमांड आती गई, इधर से पूरी होती गई। 30 करोड़ खर्च कर डाले। फिल्म को लेकर सवाल करते तो जवाब मिलता- बन रही है, हो रहा है, लोकेशन देख रहे हैं, स्टार कास्ट तय हो रही है, डिस्ट्रीब्यूटर से बात चल रही है। डॉक्टर साहब ने हिसाब मांगा तो फर्जी बिल थमा दिए। डॉक्टर को पता चल गया कि डायरेक्टर ने ठग लिया। अब उसका भूत उतारना पड़ेगा। वे किसी तांत्रिक के पास न जाकर पुलिस के पास पहुंचे। पुलिस 5 दिन तक मुंबई में डेरा डाले रही। आखिर ‘झोल के देवता’ को सपत्नी झीलों की नगरी लाया गया और रिमांड पर ले लिया। पुलिस को पूरा यकीन है कि 7 दिन में भूत झाड़ दिया जाएगा। 4. चलते-चलते.. भ्रष्टाचार की मक्खी चाय के हर प्याले पर मंडरा रही है। चाय का प्याला है सरकारी काम। नजर हटी और चाय घटी। कुछ बरस पहले तक मक्खियों का बोलबाला था। उनकी करतूत का सबूत नहीं मिलता था। कोई-कोई मक्खी ही चपेट में आती थी। अब मक्खियों का मुकाबला मोबाइल से है। तीसरा विश्व युद्ध भले पानी या पार्किंग के लिए न हो, लेकिन मक्खियों और मोबाइल के बीच जरूर होगा। मोबाइल मक्खियों की तादाद में बढ़ रहे हैं। गांव-गांव, ढाणी-ढाणी तक मोबाइल पहुंच गए। राह चलता कोई भी व्यक्ति सरकारी काम पर मोबाइल तान देता है और मक्खियों की शामत आ जाती है। बाड़मेर के शिव थाना इलाके के गांव झणकली में नई सड़क बनी। लोगों में खुशी का माहौल। पायजामे की जेब में मोबाइल रखकर लोग नई सड़क देखने पहुंच गए। वहां किसी ने कहा कि क्वालिटी बहुत खराब है। मोबाइल जेब से बाहर निकला और रोड पर तन गया। तीन लोगों ने हाथों से सड़क उखाड़ दी। अंतरजाल (इंटरनेट) के माध्यम से वीडियो घर-घर पहुंच गया। अब हंगामा होना तय है। वीडियो देखने के लिए ऊपर फोटो पर क्लिक करें। अब कल मुलाकात होगी…


