हिंदी साहित्य समिति इंदौर में कालजयी साहित्यकार पुण्य स्मरण:लोकभाषा भोजपुरी एवं हिंदी के अद्वितीय कवि थे भिखारी ठाकुर

श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति ने मंगलवार को कालजयी साहित्यकार पुण्य स्मरण श्रृंखला का 91वां पुष्प लोकभाषा और लोक संस्कृति के अद्वितीय कवि भिखारी ठाकुर को समर्पित किया गया। साहित्य जगत में इस अद्भुत साहित्यकार का नाम जैसे विस्मृत-सा हो चुका है लेकिन उनका साहित्य अद्भुत है, अद्वितीय है और मुख्यतः भोजपुरी साहित्य अनुपम खजाना है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रचारमंत्री हरेराम वाजपेयी ने उनके जीवन वृत्त को बताते हुए कहा कि उनका जन्म 18 दिसम्बर 1887 में बिहार के एक छोटे से गांव कुतुबपुर के नाई परिवार में हुआ था। जहां की परम्परा के अनुसार नाई ठाकुर कहने की प्रथा रही। वो दलित विमर्श के रचनाकार थे। किसी विद्यालय में पढ़ने नहीं गए। सुन-सुनकर उन्होंने अपना रचना संसार रचा रामचरित मानस और दूसरे ग्रंथों को सुन-सुनकर उन्होंने अपना रचना संसार रचा। कैथी लिपि में लोकगीतों पर उनकी 29 किताबें हैं। उनके साहित्य को बिहार राष्ट्रभाषा परिषद ने ’भिखारी ठाकुर रचनावली’ नाम से प्रकाशित किया है। श्री वाजपेयी ने बताया कि भिखारी ठाकुर माॅरीशस, गुयाना, सूरीनाम, टोबेगो और अन्य अफ्रीकी देशों में भी अपनी नाटक मंडली को लेकर गए थे। उनके संदर्भ में डाॅ. अखिलेश राव ने कहा कि वो भोजपुरी के शेक्सपियर थे। अपने नाटकों को विदेशों तक ले जाने वाले वे पहले भारतीय साहित्यकार थे। भरत उपाध्याय ने कहा कि वो निर्धन परिवार में जन्में थे पर उनका रचा साहित्य अमूल्य है। वो सामाजिक कुरीतियों के प्रबल विरोधी थे। डाॅ. दीप्ति गुप्ता ने उन्हें भरत मुनि का मानस पु़त्र बताया और एक संदर्भ में बताया कि बिहार के तत्कालीन शिक्षा सचिव स्वयं उनसे मिलने के लिए गए थे। पहली कक्षा से ही छोड़ दिया था स्कूल अरविन्द जोशी ने रोचक प्रसंग बताते हुए बताया कि राजेन्द्रप्रसाद जी से उनकी मुलाकात हुई मगर वो राजेन्द्र बाबू के नाम से मिले। पहली कक्षा से स्कूल छोड़ने वाले भिखारी ठाकुर अपनी ’विरह बिहार’, ’बिदेसिया’ से आज भी दिलों में स्थान बनाए हुए हैं। डाॅ. सुरेन्द्र सक्सेना ने उन्हें लोकभाषा और लोक जन का साहित्यकार बताया जो जमीन से जुड़ा रहा और अनपढ़ होकर भी लोक संस्कृति को समृद्ध करने में अहं भूमिका अदा की। शोध मंत्री डाॅ. पुष्पेन्द्र दुबे ने कहा कि उन्होंने भोजपुरी भाषा को बहुत समृद्ध किया जिसके माध्यम से लोक संस्कृति भी समृद्ध हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डाॅ. आभा होल्कर ने कहा कि आज वक्ताओं के माध्यम से उन्हें एक अप्रतिम साहित्यकार के बारे में बहुत सी दुर्लभ जानकारियों प्राप्त हुईं। अन्त में आभार पुस्तकालय मंत्री अरविन्द ओझा ने व्यक्त किया। इस अवसर पर अर्थमंत्री राजेश शर्मा, प्रकाशन मंत्री अनिल भोजे, प्रबंध मंत्री घनश्याम यादव के अलावा विजय खंडेलवाल, महिमा त्रिवेदी, नयन कुमार राठी, शिवचरण शर्मा, कुमुद अजय मारु, राजेश शुक्ल, प्रकाश जैन, नागेश व्यास आदि साहित्यकार और सुधिजन उपस्थित थे।

FacebookMastodonEmail

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *