हिमाचल प्रदेश के सभी अस्पतालों में मरीजों के लिए 10 रुपए की पर्ची अनिवार्य कर दी गई है। सरकार ने रोगी कल्याण समिति की ओर से दी जाने वाली सेवाओं स्वच्छता, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और उपकरणों के रखरखाव को सुदृढ़ करने के लिए यह फैसला लिया है। स्वास्थ्य सचिव ने इसे लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दी है। अस्पतालों में यह शुल्क रोगी कल्याण समिति द्वारा वसूला जाएगा। स्वास्थ्य सचिव ने अपने आदेशों में कहा कि कैबिनेट सब कमेटी की सिफारिश पर यह निर्णय लिया गया है। अब तक सभी सरकारी अस्पतालों में पर्ची मुफ्त में बनाई जाती थी। मगर, वर्तमान सरकार ने सालों पुरानी इस व्यवस्था को बदल दिया है। इसी तरह जिन 14 कैटेगिरी के मरीजों के मुफ्त में एक्स-रे और टेस्ट हो रहे थे, उन्हें भी अब शुक्ल चुकाना होगा। शुल्क के पीछे मंत्री का तर्क इसके पीछे स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धनीराम शांडिल ने बीते माह तर्क दिया था कि मुफ्त पर्ची को लोग संभालकर नहीं रखते, इससे डॉक्टरों को भी परेशानी होती है। पर्ची बनाने के 10 रुपए लगेंगे तो लोग इसे संभालकर रखेंगे। उन्होंने कहा कि पीजीआई चंडीगढ़ में भी यह शुल्क लिया जाता है। 12 से 15 हजार मरीज रोज सरकारी अस्पतालों में कराते हैं उपचार प्रदेश में अकेले आईजीएमसी शिमला में रोजाना तीन हजार से चार हजार के बीच मरीज उपचार को पहुंचते हैं। इसी तरह राज्य के मेडिकल कालेज एवं अस्पतालों में रोजाना 700 से दो हजार लोगों की ओपीडी है। इस तरह प्रदेश के सभी चिकित्सा संस्थानों में रोजाना 12 से 15 हजार मरीज उपचार को पहुंचते हैं। सभी को अब 10 रुपए देने होंगे। नेता प्रतिपक्ष ने शुल्क की सरकार बताया नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सुक्खू गवर्नमेंट को शुल्क की सरकार करार दिया। उन्होंने कहा, बस में कदम रखने पर पहले न्यूनतम किराया 10 रुपए किया गया। अब पर्ची पर 10 रुपए शुल्क लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने हिमकेयर योजना के तहत 5 लाख रुपए का मुफ्त इलाज दिया था और मौजूदा सरकार शुक्ल पर शुल्क लगा रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।