हिमाचल सरकार सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सेब बागीचों का कटान रोकने के लिए याचिका दायर करेगी। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में आज (शुक्रवार) देर शाम संपन्न हुई मीटिंग में यह फैसला लिया है। दरअसल, हिमाचल हाईकोर्ट ने वन भूमि पर अतिक्रमण करके लगाए सेब के पौधे काटने के आदेश दे रखे हैं। इन आदेशों पर फलों से लदे सेब के बड़ी संख्या में पौधे काटे जा चुके हैं। इसे लेकर सियासत भी शुरू हो गई है। बागवानों की मांग पर शुक्रवार शाम छह बजे मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू की अध्यक्षता में सचिवालय में एक मीटिंग बुलाई गई थी। सीएम सुक्खू की तबीयत खराब होने के बाद वह इस मीटिंग में शामिल नहीं हुए। इसके बाद राजस्व मंत्री ने मीटिंग ली। इसमें ठियोग के विधायक कुलदीप सिंह राठौर के अलावा सेक्रेटरी लॉ, सेक्रेटरी फॉरेस्ट, सेक्रेटरी हॉर्टिकल्चर और एडवोकेट जनरल शामिल हुए। कुलदीप राठौर ने मीटिंग के बाद बताया कि हिमाचल हाईकोर्ट के आदेशों को देश की शीर्ष अदालत में चुनौती देने का फैसला लिया गया। मुख्यमंत्री सुक्खू ने बीते कल दिल्ली से लौटने के बाद ही साफ कर दिया था कि हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। हाईकोर्ट उनकी नहीं सुन रहा है। फलदार पौधे काटने गलत: राठौर इस मीटिंग से पहले मीडिया से बातचीत में कुलदीप राठौर ने कहा, कोर्ट के आदेशों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दूंगा, लेकिन सावन के महीने में फलदार पौधों को काटा जाना गलत है। उन्होंने कहा कि तीन चार महीने बाद यह कार्रवाई हो सकती है। उन्होंने बताया, जब बरसात हो रही है, ऐसे वक्त में लोगों को बेघर करना लोकतांत्रिक मूल्य के खिलाफ है। हाईकोर्ट के आदेशों के बाद सियासत गरमाने लगी हाईकोर्ट के आदेशों के बाद इस पर सियासत भी गरमाने लगी है। वामपंथी नेता निरंतर सरकार और हाईकोर्ट की इस कार्रवाई पर सवाल खड़े कर रहे हैं और इस कार्रवाई को गलत बताया जा रहा है। वहीं सोशल मीडिया में बड़ी संख्या में ऐसे भी लोग है जो कोर्ट की कार्रवाई को सही ठहरा रहे हैं। इस वजह से सेब के बगीचे काटने के मुद्दे पर सियासत भी गरमा चुकी है। पुलिस के पहरे के बीच हटाए जा रहे अवैध कब्जे प्रदेश के सेब बहुल क्षेत्रों में पुलिस के पहरे में सेब के पेड़ काटे जा रहे हैं। वन विभाग हाईकोर्ट के आदेशों पर कार्रवाई कर रहा है। पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाने के बजाय सरकार कब्जे में ले : शांता वहीं, पूर्व CM शांता कुमार ने भी वन भूमि पर अवैध कब्जे कर लगाए सेब बगीचों को लेकर सरकार की कार्रवाई पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि हरे-भरे बगीचों पर कुल्हाड़ी चलाने के बजाय सरकार को इन्हें कब्जे में लेना चाहिए। इन बगीचों को वन विभाग के अधीन कर आय का स्रोत बनाना चाहिए। शांता कुमार ने कहा, वन भूमि पर कब्जे कर बगीचे लगाने वालों पर सरकार कठोर कार्रवाई कर रही है। इससे कई जगह लोग परेशान हैं। कई लोगों ने इस संबंध में उन्हें फोन पर चिंता जाहिर की है। शांता ने उदाहरण देते हुए कहा, एक स्थान पर 85 वर्ष की बुजुर्ग महिला को उस मकान से बेदखल कर दिया गया, जहां वह वर्षों से रह रही थी। शांता ने कहा, यह कोई मानवीय दृष्टिकोण नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया कि जिन बागानों पर अवैध कब्जा पाया गया है, वहां सरकार पेड़ न काटे बल्कि उन्हें सरकारी कब्जे में लेकर वन विभाग के अधीन कर दे। इससे न केवल हरे-भरे लाखों पौधे बचेंगे, बल्कि वन विभाग को लाभ का स्रोत भी प्राप्त होगा।