20 से 28 फरवरी के बीच भोपाल आएगी वित्त आयोग की टीम 16वें वित्त आयोग से मप्र सरकार केंद्रीय करों में 50 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी की मांग करेगा। देश में सर्वाधिक जनजातीय (आदिवासी) आबादी, देश में सर्वाधिक वन भूमि और राष्ट्रीय महत्व के बड़े बांधों में मप्र की सर्वाधिक डूब क्षेत्र को आधार बनाते हुए यह मांग की जाएगी। अभी केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी 41 फीसदी है। गौरतलब है कि केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों की समीक्षा और टैक्स रेवेन्यू के बंटवारे का फॉर्मूला तय करने के लिए बनाए गए 16वें वित्त आयोग की टीम फरवरी में मप्र के दौरे पर आएगी। संभवत 22 से 28 फरवरी के बीच आयोग की टीम भोपाल आएगी और मप्र के विकास लक्ष्यों (एस्पिरेशन), सरचार्ज (उपकर) और कर बंटवारा (टैक्स डेवोलुशन) की मांगों पर राज्य सरकार से चर्चा करेगी। प्रदेश के वित्त विभाग ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी हैं। वर्ष 2026 से 2030 तक मप्र की जरूरतों और प्रदेश के जनता के प्रति जिम्मेदारियों को पूरा करने लिए वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता का आकलन करने के लिए कंसल्टेंट फर्म नियुक्त कर उससे अगले पांच साल में मप्र की जरूरतों, चुनौतियों और समस्याओं का समाधान करने लिए धन की आवश्यकता पर एक प्रेजेंटेशन तैयार कराया जा रहा है। यह फर्म अगले एक से डेढ़ माह में राज्य सरकार को एक डिटेल प्रेजेंटेशन रिपोर्ट तैयार करके देगी। राज्य शासन की मंजूरी के बाद इस प्रजेंटेशन को 16वें वित्त आयोग के समक्ष रखा जाएगा। आयोग बताएगा- इनकम के वितरण का फॉमूला क्या हो आयोग मुख्य रूप से चार विषयों के संबंध में केंद्र सरकार को अपनी सिफारिशें देगा। इनमें केंद्र और राज्यों के बीच टैक्स के जरिए होने वाले नेट इनकम के वितरण का फॉर्मूला (शेयर अनुपात) क्या होना चाहिए। केंद्र सरकार की संचित निधि में से राज्यों को दिए जाने वाली राजस्व सहायता अनुदान पर पर कितना नियंत्रण रखा जाए, किस प्रयोजन के लिए कितनी राजस्व सहायता राज्य को देना जरूरी है। राज्य के वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर उस राज्य में पंचायतों और नगरपालिकाओं के संसाधनों को संपूरित (सप्लीमेंटेड) करने संबंधित राज्य की संचित निधि में बढ़ोतरी कैसे की जाए। आपदा प्रबंधन कानून के तहत बनाए गए फंडस के वित्तपोषण की राज्य में मौजूदा व्यवस्था की समीक्षा और उसे बेहतर बनाने की सिफारिशें करना। 31 अक्टूबर 2025 तक केंद्र को अपनी रिपोर्ट सौंप देगा वित्त आयोग
केंद्र सरकार ने पिछले साल 31 दिसंबर को नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगडिय़ा की अध्यक्षता में 16वें वित्त आयोग का गठन किया था। यह आयोग 1 अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाले अगले पांच वित्तीय वर्ष की अवधि (31 मार्च 2030) तक के लिए सभी राज्यों से चर्चा कर अपनी रिपोर्ट 31 अक्टूबर 2025 तक केंद्र सरकार को सौंपेगा। यह आयोग केंद्र व राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों और करों के बंटवारे की सिफारिशें करता है। हर 5 साल की अवधि के लिए एक वित्त आयोग बनाया जाता है। हमने तैयारी शुरू कर दी
16वें वित्त आयोग ने मप्र को फरवरी महीने में वक्त दिया है। फरवरी के अंतिम सप्ताह में आयोग की टीम मप्र आएगी। हमने तैयारियां शुरू कर दी हैं। केंद्रीय करों में मप्र अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग पुरजोर तरीके से वित्त आयोग के समक्ष रखेगा। – तन्वी सुंद्रियाल, डायरेक्टर बजट