14 औद्योगिक इकाइयों की एसजीएसटी प्रतिपूर्ति को मंजूरी, 6.06 करोड़ का लाभ

भास्कर न्यूज | लुधियाना प्रशासन ने व्यापार का अधिकार अधिनियम और औद्योगिक एवं व्यवसाय विकास नीति के अंतर्गत 14 औद्योगिक इकाइयों की एसजीएसटी प्रतिपूर्ति को मंजूरी दी है। शुक्रवार को डिप्टी कमिश्नर हिमांशु जैन की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में औद्योगिक इकाइयां स्थापित करने के लिए सीएलयू/ईडीसी छूट, एसजीएसटी प्रतिपूर्ति जैसे लाभ प्रदान करने के प्रस्तावों पर विचार किया गया। इसके साथ ही डीबीआईआईपी (डिस्ट्रिक्ट बिजनेस एंड इंडस्ट्री इन्वेस्टमेंट प्रोग्राम) लुधियाना की समीक्षा भी की गई। बैठक के दौरान व्यापार के अधिकार अधिनियम, 2020 के तहत नियामक मंजूरी और आईबीडीपी 2017 एवं आईबीडीपी 2022 के तहत सैद्धांतिक मंजूरी के मामलों पर भी चर्चा हुई। डीसी हिमांशु जैन ने बताया कि नीति की प्रमुख उपलब्धियों में से एक सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए प्रोत्साहनों की सरलीकृत अनुमोदन प्रक्रिया है। इसके तहत चार मामलों को सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है। अब ये इकाइयां निर्माण गतिविधि शुरू कर सकती हैं और उन्हें मंजूरी की तारीख से 3.5 साल के भीतर सभी आवश्यक नियामक स्वीकृतियां लेनी होंगी। डीसी जैन ने बताया कि सभी नई और विस्तारित/आधुनिकीकरण परियोजनाएं ‘बिजनेस फर्स्ट पोर्टल’ पर आवेदन कर सकती हैं। इससे समयबद्ध तरीके से नियामक मंजूरियां और राजकोषीय प्रोत्साहन ऑनलाइन ही प्राप्त किए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि यह नीति उद्योगपतियों के मनोबल को बढ़ाने का काम कर रही है, जिससे अधिक उद्योग इस योजना का लाभ उठाने के लिए आगे आ रहे हैं। बैठक में 14 औद्योगिक इकाइयों की एसजीएसटी प्रतिपूर्ति को मंजूरी दी गई, जिसकी कुल राशि 6.06 करोड़ रुपये है। इसके अलावा, एक औद्योगिक इकाई को 74,38,734 रुपये की सीएलयू/ईडीसी छूट भी प्रदान की गई। बैठक के दौरान डीबीआईआईपी लुधियाना की समीक्षा की गई, जिसमें डीआरओ, पीपीसीबी, एमसी लुधियाना, श्रम विभाग और कारखानों को आवंटित समय सीमा के भीतर लंबित मामलों को निपटाने के निर्देश दिए गए। डीसी ने स्पष्ट किया कि इस नीति से न केवल वित्तीय लाभ मिल रहा है, बल्कि औद्योगिक विकास भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। डीसी ने बताया कि इस नीति के अंतर्गत विभिन्न मंजूरियां समय पर प्रदान करने के लिए विभागों के सर्वोच्च प्राधिकारियों द्वारा सख्त निगरानी की जा रही है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि सभी उद्योग सुचारू रूप से संचालित हो सकें और किसी भी प्रकार की देरी न हो।

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