छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्वास्थ्य विभाग का नया कारनामा सामने आया है। करीब 1408 दिनों तक एब्सेंट रहे डॉक्टर देवेंद्र प्रताप को जिले में डिपार्टमेंट इंक्वायरी (डीआई) के बिना ही ज्वाइनिंग दे दी गई है। उन्हें सीधे गीदम ब्लॉक का BMO बना दिया गया है। जबकि, अवकाश नियम-11 के मुताबिक बिना सूचना के लगातार 3 साल तक एब्सेंट रहने वाले संबंधित शासकीय सेवक को सेवा से त्यागपत्र दिया समझा जाएगा। जब तक की राज्यपाल प्रकरण की आपवादिक परिस्थितियों को देखते हुए अन्यथा विनिश्चिय न करें। 1 महीने तक एब्सेंट रहने पर भी कर सकते हैं कार्रवाई इसके अलावा आचरण नियम-7 के तहत एक महीने से अधिक समय तक बिना सूचना के एब्सेंट रहने पर विभागीय कार्रवाई की जा सकती है। इससे स्पष्ट है की अनुपस्थिति की अवधि सिर्फ 3 साल हो सकती है।इससे अधिक समय पर अनुपस्थित रहने पर राज्यपाल की स्वीकृति आवश्यक है। छत्तीसगढ़ शासन वित्त विभाग के सचिव मुकेश कुमार बंसल ने हाल ही में नियमों का निर्देश जारी किया है। CMHO बोले- ऊपर से मिला आदेश इन 1408 दिनों में उन्हें सिर्फ 5 बार नोटिस थमाया। विभाग ने इन नियमों को दरकिनार रखते हुए न सिर्फ उनकी ज्वाइनिंग की बल्कि उन्हें BMO जैसे जिम्मेदार पद पर भी बिठा दिया है। हालांकि, दंतेवाड़ा CMHO अजय रामटेके ने इनकी ज्वाइनिंग के लिए ऊपर से आदेश आने की बात कही है। कांग्रेस कमेटी के ब्लॉक अध्यक्ष अनिल कर्मा ने उठाए सवाल डीआई क्यों जरूरी ? दरअसल, शासकीय सेवक जब बिना बताए 1 महीने से लेकर 3 साल से ज्यादा समय तक एब्सेंट रहते हैं, तो उनकी ज्वाइनिंग से पहले स्पष्टीकरण के लिए डीआई बिठाई जाती है। डीआई (डिपार्टमेंट इंक्वायरी) कमेटी में संबंधित विभाग के सीनियर्स या फिर जिला प्रशासन के अन्य बड़े अधिकारी हो सकते हैं। इस कमेटी में शामिल अधिकारी एब्सेंट रहने वाले के स्पष्टीकरण को सुनते हैं। फिर एक रिपोर्ट तैयार कर ज्वाइनिंग लेनी है या नहीं ये निर्णय लेते हैं। जेडी बोले- इस नियम की जानकारी नहीं वहीं इस संबंध में हमने स्वास्थ्य विभाग के जेडी डॉ महेश शांडिया से भी बातचीत की। उन्होंने कहा कि, यदि जस्टिफाई है तो लेंगे यदि जस्टिफाई नहीं है तो नहीं लेंगे। इसके लिए डायरेक्टर से परमिशन लेनी पड़ती है। जब उनसे राज्य शासन के 3 साल वाले नियम के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ऐसी कोई जानकारी मेरे पास नहीं है। इससे संबंधित पत्र मेरे पास नहीं आया है, यदि आता तो मैं देखकर बताता। वहीं सीधे BMO बनाने के सवाल पर कहा कि ये CMHO पर निर्भर करता है। अब जानिए क्या है पूरा मामला? दंतेवाड़ा जिले के गीदम में पोस्टेड डॉ देवेंद्र प्रताप 21 अगस्त 2021 से बिना अवकाश लिए लगातार 46 महीना 11 दिन (कुल 1408 दिन) एब्सेंट थे। 5 बार नोटिस मिलने के बाद भी डॉ देवेंद्र प्रताप ने दंतेवाड़ा CMHO कार्यालय में कार्य में न आने की वजह की लिखित में जानकारी नहीं दी थी। मई 2025 में डॉक्टर ने उप संचालक (स्वास्थ्य सेवाएं) को पारिवारिक कारण बताया और 1408 दिन एब्सेंट रहने के बाद BMO (ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर) बनकर सेवा में लौट आए हैं। पत्नी के साथ मिलकर खुद का अस्पताल चलाया एब्सेंट वाले समय में उन्होंने जगदलपुर में अपनी पत्नी के साथ मिलकर खुद का श्री बालाजी केयर मल्टी-स्पेशलिटी हॉस्पिटल खोला था। बस्तर जिले के CMHO डॉ संजय बसाख का कहना है कि इस अस्पताल में मरीज की मौत हुई थी। परिजनों ने हंगामा किया था। जांच में पता चला था कि अस्पताल का रजिस्ट्रेशन भी नहीं था। इधर, नर्सिंग होम एक्ट के नोडल अधिकारी डॉ श्रेयांस जैन ने कहा कि डॉ देवेंद्र प्रताप और उनकी पत्नी खुद इस अस्पताल के मालिक हैं। सील के बाद अस्पताल खुल गया है। इनके पास अस्पताल का रजिस्ट्रेशन है। उन्होंने कहा कि CMHO संजय बसाख ने रजिस्ट्रेशन न होने वाली बात क्यों कही? मुझे नहीं मालूम। अब CMHO डॉ संजय बसाख और नर्सिंग होम के नोडल अधिकारी डॉ श्रेयांस जैन के अलग-अलग बयान ने एब्सेंट के दौरान अस्पताल चलाने वाले इस मामले में और सवाल खड़े कर दिए हैं। अब जानिए कब-कब इन्हें नोटिस दिया 23 मई 2022 को CMHO ने नोटिस थमाया। जवाब नहीं दिया।
6 जून 2022 को CMHO ने नोटिस दिया। जवाब नहीं दिया। CMHO ने संचालक को भी पत्र लिखा था।
10 मार्च 2023 को CMHO ने नोटिस थमाया। जवाब नहीं दिया।
23 सितंबर 2023 को CMHO ने नोटिस थमाया। जवाब नहीं दिया।
12 जून 2024 को CMHO ने नोटिस थमाया। जवाब नहीं दिया। उप संचालक ने CMHO को लिखा पत्र वहीं 30 मई 2025 को उप संचालक (स्वास्थ्य सेवाएं) की तरफ से दंतेवाड़ा CMHO डॉ अजय रामटेके को एक पत्र लिखा गया। जिसमें कहा गया कि 23 अप्रैल 2025 को डॉ देवेंद्र प्रताप का जवाब मिला है। उन्होंने कहा है कि पारिवारिक कारणों की वजह से वे 21 अगस्त 2021 से एब्सेंट थे। पारिवारिक स्थिति में सुधार आने की वजह से कार्य पर उपस्थिति स्वीकार करने उन्होंने अनुरोध किया है। 4 जुलाई को CMHO ने जारी किया आदेश वहीं दंतेवाड़ा जिले के CMHO अजय रामटेके ने एक आदेश जारी कर डॉ देवेंद्र प्रताप को गीदम ब्लॉक का BMO नियुक्त कर दिया। अब सूत्र बता रहे हैं कि देवेंद्र प्रताप को BMO बनाने के लिए CMHO पर बड़े स्तर पर पॉलिटिकल दबाव बनाया गया था। CMHO ने बस इतना कहा कि ऊपर से आदेश थे।