15 साल पुराने एनडीपीएस मामले में बुजुर्ग को सुनाई सजा:4 साल कठोर कारावास, 200 ग्राम अफीम का दूध किया था बरामद

बाड़मेर कोर्ट ने 15 साल पुराने एनडीपीएस मामले में 73 साल के आरोपी को 4 साल के कठोर कारावास व 20 हजार के अर्थदंड की सजा सुनाई है। कोर्ट के समक्ष अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 8 गवाह और 31 डॉक्यूमेंट को पेश किए गए। विशिष्ट न्यायाधीश के पीठासीन अधिकारी एमआर सुथार आरएचजेएस ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला दिया। विशिष्ठ लोक अभियोजक सुरेशचंद्र मोदी ने बताया कि 26 ​नवंबर 2009 को सुबह 11 बजे पुलिस को इतला मिली थी कि निम्बाराम पुत्र जीयाराम निवासी मेकरणा वाला अवैध अफीम के धंधे में लिप्त है। इस पर अफीम का दूध लेकर बायतु आएगा इस पर थानाधिकारी मय जाब्ता रवाना होकर सरहद माधासर गोलाई एनएच 112 पर पहुच कर नाकाबंदी की गई। इस दौरान दोपहर 3 बजे एक व्यक्ति माधासर की तरफ से हाथ मे कपडे की थैली लेकर आता हुआ नजर आया। पुलिस पार्टी को देखकर सड़क से नीचे उतरकर साइड मे जाने लगा। संदेह के आधार पर उसे दस्तयाब करने पर उसने अपना नाम निम्बाराम पुत्र जीयाराम निवासी मेकरणा वाला बताया। विधिक प्रावधानों का पालन करते हुए उसकी तलाशी लेने पर उसके पास से एक डिब्बा में 200 ग्राम अफीम का दूध मिला। जिसके नमूना सैंपल लेकर सीलबंद कर आरोपी निंबाराम को गिरफ्तार किया। आरोपी के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट में मामला दर्ज कर जांच की गई। आरोपी निम्बाराम को आरोप सुनाए गए व साक्ष्य प्रारंभ की गई। विचारण में न्यायालय के समक्ष अभियोजन पक्ष द्वारा कुल 8 गवाहों को परीक्षित करवाया गया। कुल 31 दस्तावेजों को प्रदर्शित करवाया गया। विशिष्ठ न्यायाधीश एनडीपीएस प्रकरण बाड़मेर के पीठासीन अधिकारी एमआर सुथार आरएचजेएस जिला न्यायाधीश बाड़मेर ने एनडीपीएस एक्ट के प्रकरण में 73 वर्षीय बुजुर्ग को 4 वर्ष के कठोर कारावास व 20 हजार के अर्थदंड की सजा सुनाई है। आरोपी निंबाराम पुत्र जीयाराम निवासी मेकरणा वाला पचपदरा जिला बालोतरा को अपराध अंतर्गत धारा 8/18 एनडीपीएस एक्ट मे दोषी मानते हुए 4 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। न्यायालय ने साक्ष्य पूर्ण होने पर दोनों पक्षों की बहस सुनकर आरोपी निम्बाराम को अफीम का दूध की तस्करी के अपराध में दोषी मानते हुए 4 वर्ष के कठोर कारावास व 20 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई है। राज्य सरकार की ओर से विशिष्ठ लोक अभियोजक एडवोकेट सुरेशचंद्र मोदी व आरोपी की ओर से एडवोकेट प्रेम प्रजापत ने पैरवी की।

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