दिसंबर का माह जोधपुर में पोलो के नाम रहता है। हालांकि, रजवाड़ों के इस गेम में विदेश से खिलाड़ी जोधपुर आते हैं वहीं यह खेल देखने के लिए भी देश विदेश से लोग पहुंचते हैं। पोलो का क्रेज दर्शकों में ऐसा है कि अब वह पोलो से संबधित टीशर्ट, हैट, ज्वेलरी बेग सभी खरीदने का क्रेज नजर आने लगा है। वहीं इस क्रेज को बरकरार रखने के लिए उम्मेद भवन पैलेस की ओर से एग्जीबिशन स्टॉल भी लगाई गई है। खास कर यहां इंग्लैंड में पहली जीत वाली जोधपुर की पोलो टीम की टीशर्ट को पसंद किया जा रहा है। वहीं आस्ट्रेलिया की बैंबू की घास से बनी पोलो हैट को भी काफी पसंद कर रहे हैं। पहली टीम यूरोप खेलने गई थी बता दें कि जोधपुर पोलो की स्थापना 19वीं शताब्दी में 1889 में सर प्रताप ने की थी। पहली बार टीम ने 1897 में यूरोप गई और वहां पोलो खेला, 1925 में जोधपुर की टीम इग्लैंड में पोलो की विजेता टीम रही। वहीं पूर्व नरेश गजसिंह ने 1993 में फिर से पोलो को सपोर्ट किया और हाइलाईट किया 93 से अब तक लगातार पोलो के इंटरनेशनल टूर्नामेंट जोधपुर में हो रहे है और दिसंबर का महीना पोलो मंथ के नाम से जाना जाने लगा है। इन दिनों भी एयरपोर्ट रोड पाबूपुरा स्थित पोलो ग्राउंड में पोलो का 25वां सीजन चल रहा है। महाराजा गजसिंह स्पोर्ट्स फाउंडेशन पाेलो मैदान में उम्मेद भवन पैलेस की ओर से एग्जीबिशन स्टॉल भी सजाई गई है जिसमें पोलो से संबंधित फैशन ज्वेलरी, गारमेंट्स और बैग आदि का कलेक्शन है। टूरिस्ट इसको बहुत पसंद करते है। शॉप के मैनेजर मनोज बधानी का कहना है कि जो भी टूरिस्ट यहां आते है इस शाॅप पर जरुर आते है लोगों को यह बहुत पसंद आता है। उम्मेद भवन पैलेस में भी रिटेल प्रोडक्ट के लिए शॉप है और टूरिस्ट इसे देख कर अट्रेक्ट होते हैं। बधानी ने बताया कि पोलो की टीम की टी शर्ट बहुत पसंद की जाती है। यहां मेल फीमेल दोनों के लिए पोलो से संबंधित कैप टीशर्ट और फीमेल के लिए बेग हैं। पोलो का कलर ब्लैक व केसरिया रहता है ब्लैक घोड़ों का कलर और केसरिया रंग राजघराने का मुख्य रंग है ऐसे में इन दोनों कलर के कॉम्बिनेशन के प्रोडक्ट है।