1929 में पहली बार दो महावीरी झंडों के साथ निकली थी शोभायात्रा, इस बार डेढ़ लाख झंडों से शहर होगा राममय

श्रीरामनवमी महोत्सव का केंद्र महावीर चौक है। यहां स्थित श्री प्राचीन महावीर मंदिर में विभिन्न अखाड़े के लोग पहुंचते हैं। वर्ष 1929 में इसी मंदिर से रांची में पहला महावीरी झंडा निकाला गया था, जो तपोवन मंदिर तक गया था। श्री रामनवमी शृंगार समिति, महावीर चौक अपर बाजार के महामंत्री मयंक गिरी ने बताया कि महंत ज्ञान प्रकाश के नेतृत्व में पहला महावीरी झंडा बुधवार 17 अप्रैल 1929 में निकला था। श्री महावीर मंडल रांची केंद्रीय समिति के अध्यक्ष जयसिंह यादव ने बताया कि रांची में श्रीरामनवमी की शोभायात्रा निकालने की शुरुआत 1929 में हुई थी। दो महावीरी झंडों के साथ यह यात्रा महावीर चौक, अपर बाजार से निकली थी। दूसरा झंडा रातू रोड ग्वाल टोली से भी निकला था। इस समय 50 से 60 लोग शामिल हुए थे। इस बार 1700 बड़े झंडे और सवा लाख छोटे झंडे शोभायात्रा में शामिल होंगे। 1930 में नानू भगत के नेतृत्व में रातू रोड स्थित ग्वाला टोली से शोभायात्रा निकाली गई। अब रामनवमी का जुलूस काफी भव्य हो गया है। इस जुलूस में 20 लाख लोग शामिल होते हैं। उन्होंने बताया कि 1975 के समय 50-55 हजार के करीब लोग जुलूस में शामिल होने लगे। रांची के रामनवमी महोत्सव का इतिहास बताते हुए अध्यक्ष जयसिंह यादव ने बताया कि 1929 से पहले हजारीबाग में रामनवमी धूमधाम से होती थी। इसके बाद यहां के लोगों ने रांची लाया। इनमें महंत ज्ञान प्रकाश नागा बाबा, नानू भगत, मोतीराम व जगदीश राम। हजारीबाग से पैदल चलकर ये रांची पांच झंडा लेकर आए थे। 1990 से पहले रामनवमी की शोभायात्रा काफी सुनियोजित और अनुशासित होती थी। शोभायात्रा दोपहर 2 से 2.30 बजे तक तपोवन मंदिर पहुंच जाती थी।

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