रांची विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों को स्मार्ट तरीके से पढ़ाने के लिए दो फेज में लगभग 2.25 करोड़ रुपए खर्च कर स्नातकोत्तर (पीजी) विभागों में स्मार्ट बोर्ड तो लगवा दिए, लेकिन ये आधुनिक उपकरण महज एक दिखावटी शो पीस बनकर रह गए हैं। आरयू के पीजी विभागों में दो फेज में 70 स्मार्ट बोर्ड लगे हुए हैं, लेकिन इनमें 35 से अधिक में इंटरनेट कनेक्शन ही नहीं दिया गया है। एक चौंकाने वाला तथ्य यह भी सामने आया है कि विश्वविद्यालय के लगभग 70 प्रतिशत शिक्षकों को इन स्मार्ट बोर्ड पर पढ़ाना नहीं आता, जिसके चलते ये महंगे उपकरण पूरी तरह से बेकार पड़े हुए हैं। कुछ विभागों के विभागाध्यक्ष बताते हैं कि स्मार्ट बोर्ड का उपयोग सिर्फ सेमिनार या प्रेजेंटेशन के लिए किया जाता है, बाकी समय वे बिना इस्तेमाल के पड़े रहते हैं। लेक्चर रिकॉर्डिंग की सुविधा भी स्मार्ट बोर्ड में, ताकि कोई भी छात्र पढ़ाई में पीछे न छूटे रांची विवि के मोरहाबादी कैंपस स्थित लगभग ढाई दर्जन पीजी विभागों में स्थापित इन स्मार्ट बोर्ड का उद्देश्य पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में क्रांति लाना था। इनका मकसद स्टूडेंट्स को ऑडियो- वीडियो के माध्यम से जटिल विषयों को आसानी से समझाना और पढ़ाई को अधिक आकर्षक बनाना था। अनुपस्थित छात्रों के लिए लेक्चर रिकॉर्डिंग की सुविधा भी है, ताकि कोई भी छात्र पढ़ाई में पीछे न छूटे। लेकिन इन उद्देश्यों की पूर्ति हो नहीं पाई है। वर्कशॉप कर दी जानी चाहिए जानकारी बिना इंटरनेट कनेक्शन के ये बोर्ड ऐसे ही नो सिग्नल का डिस्प्ले दिखाते रहते हैं। ऐसे में स्मार्टबोर्ड का लाभ नहीं मिल पा रहा। 70% विवि शिक्षकों को पता नहीं… इसे चलाएं कैसे!