भास्कर न्यूज | अमृतसर पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन की ओर से एक बार फिर हड़ताल का एलान कर दिया गया है। पंजाब के सभी डॉक्टर 20 जनवरी से हड़ताल पर जा रहे हैं। सितंबर महीने में उन्होंने प्रमोशन, सुरक्षा समेत अन्य मांगों को लेकर हड़ताल की थी। सेहतमंत्री ने 3 सप्ताह के अंदर उनकी मांगे मानने का आश्वासन दिया था। जिसके बाद डॉक्टरों ने हड़ताल बंद कर दी थी, लेकिन इतना समय बीतने के बाद भी उनकी मांगें पूरी नहीं हुई। पिछले साल सितंबर में पूरे एक सप्ताह डॉक्टरों ने हड़ताल की थी। इस दौरान ओपीडी के साथ इमरजेंसी सेवाएं भी प्रभावित रही थी। इससे 5 हजार मरीजों को इलाज नहीं मिल पाया था। अब पंजाब के सरकारी अस्पतालों में सेवाएं दोबारा प्रभावित हो सकती हैं। पीसीएमएस एसोसिएशन का आरोप है कि पिछले साल हड़ताल खत्म करते समय राज्य सरकार ने जो वादे किए थे, वह पूरे नहीं हुए हैं। इसलिए डॉक्टरों के पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उस समय ओपीडी सेवाएं बंद होने से कई मरीजों को इलाज के िलए रोते हुए भी देखा गया था। 14 सितंबर को स्वास्थ्य मंत्री पंजाब भवन में मीटिंग के बाद मीडिया के सामने आए और वादा किया कि तीन सप्ताह के अंदर उनकी मांगें पूरी कर दी जाएंगी। इसके बाद धरना खत्म करके सेवाएं बहाल की गई थीं। लेकिन तय समय सीमा बीत जाने के बाद भी सरकार ने उनकी दोनों मांगों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इससे मेडिकल अफसरों में गहरा रोष है। कई विशेषज्ञ डॉक्टर सरकारी सेवाओं से इस्तीफा देकर अस्पताल छोड़ रहे हैं। डॉक्टरों ने बताया िक 12 जनवरी को जिला इकाइयों की बैठक बुलाई है, जिसमें आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा। एसोसिएशन ने कहा कि वह खुद मरीजों को परेशान नहीं करना चाहते, इसलिए उन्होंने सितंबर महीने में भी केवल 3 घंटे ही सेवाएं बंद की थी। पीसीएमएस जनता के हित में काम करने वाला संगठन हैं। अस्पतालों में सुरक्षा न सिर्फ डॉक्टरों के लिए बल्कि स्टाफ और मरीजों के लिए भी जरूरी है। क्योंकि कोलकाता कांड के बाद जीएनडीएच में महिला डॉक्टर समेत अन्य के साथ मारपीट करने के मामले सामने आए थे। दूसरी ओर प्रमोशन न होने और पुरानी योजनाओं के बंद होने से अच्छे डॉक्टर सरकारी अस्पताल छोड़कर निजी अस्पतालों में जा रहे हैं। हाल ही में मुख्यमंत्री ने 304 मेडिकल अफसरों को नियुक्ति पत्र दिए, लेकिन उनमें से एक तिहाई डॉक्टर नौकरी पर नहीं आए। इसका मुख्य कारण स्वास्थ्य विभाग में सुधार न होना और प्रमोशन के अवसर न मिलना है। उन्होंने कहा िक अगर 20 जनवरी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई तो पंजाब के सभी सरकारी अस्पतालों में सामूहिक हड़ताल की जाएगी।