200 पुरोहितों व 4 हजार परिवारों ने किया सामूहिक यज्ञ

भास्कर न्यूज | बलौदाबाजार गायत्री परिवार के आह्वान पर सोमवार को बलौदाबाजार ब्लॉक के लगभग 4 हजार परिवारों ने एक साथ हवन किया। गायत्री परिवार के लगभग 200 पुरोहित लोगों के घरों में पहुंचकर यज्ञ कराए। वहीं ऑनलाइन भी लोग जुड़कर आहूति दी। कई कॉलोनियों और मंदिरों में सामूहिक यज्ञ कराया गया। वातावरण शुद्धि के लिए लोगों ने जड़ी-बूटियों की आहुतियां भी यज्ञ में डालीं। गायत्री परिवार के सदस्यों ने बताया कि सुबह 9 से दोपहर 12 बजे के बीच पुरोहित लोगों के घरों में पहुंचे और यज्ञ कराया। यज्ञ की विधि बहुत से लोगों को बता दी गई थी। किन-किन मंत्रों से यज्ञ करना है, इसकी सूची भी दे दी गई थी। वहीं मंदिरों और कई कॉलोनियों में लोगों ने एक साथ यज्ञ किया। मंदिर समिति के सदस्यों ने बताया कि जौ, काला तिल, जावित्री, दालचीनी, लौंग, बड़ी इलायची, मेवा, नीम और पीपल की पत्ती, गुड़, गिलोय और अश्वगंधा के पाउडर से तैयार हवन सामग्री से यज्ञ किया गया। बलौदाबाजार ब्लॉक में ही करीब 4 हजार घरों में ये महानुष्ठान किया गया। इस यज्ञ से पर्यावरण शुद्धि के लिए खास है। गायत्री परिवार के पदाधिकारियों ने बताया कि हवन से आसपास के वातावरण में मौजूद करीब 94 प्रतिशत बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं। इससे इम्यूनिटी पावर बढ़ने की बात भी सामने आई है। यह भी माना जाता है कि रोज हवन करने से संक्रामक बीमारियों होने का खतरा कम होता है। हवन के दौरान पढ़े जाने वाले मंत्रों की ध्वनि से सकारात्मक तरंगें उत्पन्न होती हैं। इससे आसपास मौजूद लोगों के शरीर में पॉजिटिव ऊर्जा का संचार होता है। गायत्री मंदिर के ट्रस्टियों के द्वारा यज्ञ किया गया। मुख्य ट्रस्टी कौशल प्रसाद साहू ने कहा कि गायत्री और यज्ञ हमारी संस्कृति के माता-पिता हैं। गायत्री हमें जीवन जीने का सिद्धांत सिखाती है और यज्ञ हमें जीवन जीने की कला। यही ज्ञान और कर्म रूपी जीवन रथ के दो पहिए हैं। इन दिनों मानव जाति अनास्था के दौर से गुजर रही है। साधन भरे पड़े हैं, पर साधना का अभाव है। यही वजह है कि ज्ञान, धन और शक्ति मिलने के बाद भी व्यक्ति को सुख-शांति और संतुष्टि नहीं मिल रही। स्थायी सुख के लिए हमने गायत्री और यज्ञमय जीवन की आवश्यकता महसूस की। इसी उद्देश्य से शांतिकुंज हरिद्वार के निर्देश पर यह अनुष्ठान सभी जगहों पर एक वक्त पर संपन्न कराया गया। यज्ञ गायत्री मंदिर सहित अन्य मंदिरों में हुआ।

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