छत्तीसगढ़ की हाउसिंग सोसाइटियों में ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए इन्हें सोलर ऊर्जा से रोशन करने की तैयारी चल रही है। इसके माध्यम से देश में पहली बार आवासीय कॉलोनियों को नेट जीरो करने की प्लानिंग हैं। केंद्र सरकार ने सोलर ऊर्जा के माध्यम से 2030 तक देश में 500 बिलियन वाट बिजली उत्पादन करने का टारगेट रखा है। क्रेडा ने इसके लिए आवासीय कॉलोनियों का सर्वे भी शुरू कर दिया है। सोसाइटियों में सौर ऊर्जा की महत्ता एवं ग्रिड कनेक्टेड सौर संयंत्र लगाने के लिए रेस्को और कैपेक्स जैसी दो योजनाएं लांच की जा रही है। इनमें से कैपेक्स मॉडल के अंतर्गत सोसाइटियों को इसका पूरा खर्च वहन करना होगा जबकि रेस्को के तहत वेंडर पूरा सिस्टम लगाएगा और कॉलोनी के लोग न्यूनतम कीमत पर उससे बिजली खरीदेंगे। ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने तथा पाल्युशन फ्री सोसाइटी बनाने में इससे काफी मदद मिल सकती है साथ ही इससे बिजली का बिल काफी कम आएगा और पैसों की बचत भी होगी। कैपेक्स शेयरिंग मॉडल के अंतर्गत सोलर पावर प्लांट लगाने में होने वाले खर्च आवासीय सोसाइटी एवं रेस्को द्वारा आपसी सहमति से किया जाता है। वर्चुअल नेट मेटरिंग के तहत् एक से अधिक बिजली उपभोक्ताओं द्वारा एक सौर संयंत्र लगाया जाएगा। ग्रीन एनर्जी: इन दोनों में से किसी भी मॉडल से बचा सकते हैं बिजली और पैसा रेस्को मॉडल रेस्को यानी रिन्यूबल एनर्जी सर्विस कंपनी मॉडल के अंतर्गत बिजली की मांग के मुताबिक सोसाइटी द्वारा सोलर पावर प्लांट की स्थापना की जाती है। इसमें शुरुआत खर्च रेस्को द्वारा किया जाता है। उत्पादित होने वाली बिजली को एक निश्चित मूल्य में आवासीय सोसाइटी को बेचा जाता है। यह बिजली बिल की तुलना में एक तिहाई होता है। एक समय के बाद यह संयंत्र सोसाइटी को ही हैंडओवर कर दिया जाएगा। कैपेक्स कैपेक्स यानी कैपिटल एक्सपेंडिचर मॉडल के अंतर्गत आवासीय सोसाइटी द्वारा सोलर प्लांट स्थापित करने पूरी राशि व्यय की जाती है। इसमें सौर संयंत्र का मालिकाना हक सोसाइटी का होता है। प्लांट से उत्पादित बिजली का उपयोग यूटिलिटी विद्युत भार में किया जाता है तथा उपलब्ध लोड़ से अधिक बिजली उत्पादन होने की स्थिति में शेष बिजली सीएसपीडीसीएल के ग्रीड में स्वतः ही एक्सपोर्ट हो जाता है। नेट जीरो करने की दिशा में पहल शुरु की गई
केंद्र सरकार ने साल 2030 तक देश में सौर ऊर्जा से 500 गीगा वॉट बिजली उत्पादन का टारगेट रखा है। इसे ध्यान में रखते हुए क्रेडा ने आवासीय सोसाइटियों में ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देना तथा नेट जीरो करने की दिशा में पहल शुरु की है। इसके तहत सोसाइटियों में उपयोग होने वाली सार्वजनिक बिजली में इसका उपयोग किए जाएगा। रेस्को में 90 हजार, कैपेक्स में एक लाख की होगी बचत
100 किलोवाट का सौर संयंत्र लगाया जाता है तो रेस्को मॉडल से हर महीने 90 हजार रुपए तक की बचत होगी, जबकि कैपेक्स मॉडल से प्रति माह 1.13 लाख रुपए तक की बचत हो सकती है। 100 किलोवाट क्षमता का प्लांट लगाने के लिए लगभग 800 से 850 वर्ग मीटर स्थान जरूरी है इसे लगाने में लगभग 45 लाख रूपए खर्च होंगे। ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने पर कर रहे फोकस
^प्रदेश की सभी छोटी-बड़ी कॉलोनियों को ग्रीन एनर्जी से जोड़ने के लिए इस दिशा में काम किया जा रहा है। इसके लिए सर्वे शुरु हो चुका है। नए साल से शहर की कई कालोनियों में यह दिखने लगेगा। इससे बिजली के साथ-साथ पैसों की भी बचत होगी। प्रदेश में पहली बार यह योजना लागू की जा रही है।
– राजेश सिंह राणा, सीईओ, क्रेडा