23 साल पहले ग्रामीणों ने श्रमदान से बनाया डैम, अब वहां इको पार्क

प्रकाश मिश्र | गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड स्थित खंभरा गांव में 23 साल पहले ग्रामीणों ने श्रमदान से डैम बनाया। अब पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा के उद्देश्य से वन िवभाग ने इको पार्क बनाया है, जो आकर्षण का केंद्र बन गया है। बता दें िक वर्ष 2002 में गांव में बन रहे बलथरवा तालाब की मिट्टी जमा कर जंगल में बहने वाले टुटकी घाट नाला का पानी ग्रामीणों ने रोका था। मकसद था कि पानी को रोकते हुए गांव के कुओं व चापानलों का जलस्तर बढ़ाना। कुछ वर्षों में धीरे-धीरे इसने डैम का रूप ले िलया है। अब यह डैम करीब 7 एकड़ में फैला है। डैम बनने से ग्रामीणों की पानी की समस्याएं दूर हुईं। बीते साल 2024 में ग्रामीणों ने ग्राम सभा में हजारीबाग पूर्वी वन प्रमंडल के डीएफओ को इको पार्क बनाने का प्रस्ताव दिया। विभागीय स्वीकृति के बाद करीब 2.75 करोड़ की लागत से डैम के आसपास विकास कार्य शुरू हुआ। अब यह इलाका बगोदर और आसपास के गांवों के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। डैम के किनारे हट बनाए गए हैं। कई कलाकृतियां भी लगाई गई हैं। जंगल के पास बने वॉच टावर से पूरा इलाका देखा जा सकता है। डैम के किनारे ओपन जिम भी बनाया गया है। यहां आने वाले पर्यटक इसका आनंद ले रहे हैं। अब डैम में नौका विहार भी शुरू हो गया है। पहले लोग सिर्फ घूमने आते थे, अब नाव की सैर भी कर रहे हैं। शाम को स्ट्रीट लाइट से पूरा पार्क जगमगा उठता है। डैम में स्नान घाट, स्टील रेलिंग, हाथी, घोड़ा, मोर सहित कई तरह की मूर्तियां भी लगी हैं, जो डैम की शोभा बढ़ाती हैं। डैम से खटैया पहाड़ तक पैदल ट्रैक बनाने की है तैयारी डैम से करीब चार किलोमीटर दूर खटैया पहाड़ है। वहां तक जाने के लिए अभी कच्चा रास्ता है। उसे ट्रैक के रूप में विकसित करने की योजना है। साथ में बीच में बहने वाले दो बरसाती नाले में पुलिया भी बनना है। रास्ता बनने के बाद लोग पैदल जंगल का आनंद लेते हुए पहाड़ तक पहुंच सकेंगे। वहां से पूरे इलाके का नजारे का आनंद उठा सकेंगे। इसके साथ ही आने वाले दिनों में वुडेन हाउस भी बनाया जाना है। महेंद्र सिंह की पहल और ग्रामीणों के श्रमदान से बना था डैम खंभरा गांव के रहने वाले बगोदर उप प्रमुख हरेंद्र सिंह, जमुना सिंह, अखिलेश्वर सिंह, गागो दास और धनेश्वर ठाकुर ने बताया कि यह डैम खंभरा निवासी बगोदर के पूर्व विधायक शहीद महेंद्र सिंह की पहल और ग्रामीणों के श्रमदान से बना था। उस समय गांव में बलथरवा तालाब बन रहा था। उसी राशि से दो और तालाब बने। टुटकी घाट नाला डैम भी उनमें से एक था। बाद में पूर्व विधायक विनोद कुमार सिंह के प्रयास से लघु सिंचाई विभाग ने डैम की मेढ़बंदी और गहराईकरण कराया गया। इससे डैम की सुंदरता बढ़ी। अब इको पार्क ने पूरे इलाके की तस्वीर बदल दी है। ग्रामीणों का कहना है कि ईमानदारी और जिम्मेदारी से काम हो, तो इलाके को नई पहचान मिलती है। यही सोच इस डैम को पर्यटन स्थल बना चुकी है।

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