28 मामलों का आरोपी राजू वाड़ीवा गिरफ्तार:1997 से था फरार; बैतूल वन संरक्षक के नेतृत्व में हुई कार्रवाई

नर्मदापुरम जिले के पिपरिया से वन विभाग ने कुख्यात अपराधी राजू वाड़ीवा को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई बैतूल वन संरक्षक बासु कनौजिया के मार्गदर्शन में की गई, जिसमें आईएफएस विनोद जाखड़ के नेतृत्व में बैतूल और सारनी रेंज की टीम शामिल थी। राजू के खिलाफ 28 मामले दर्ज है राजू वाड़ीवा पर शिकार और अवैध कटाई के 10 मामले दर्ज हैं, जिनमें बैतूल और नर्मदापुरम के मामले शामिल हैं। इसके अलावा पथरोटा, शाहपुर और तवानगर थाने में चोरी, मारपीट, लूटपाट और धोखाधड़ी के 18 मामले भी दर्ज हैं। इन मामलों में भादस/बीएनएस, विस्फोटक अधिनियम और रासुका की धाराएं लगाई गई हैं। राजू वाड़ीवा पिछले साल अक्टूबर में बैतूल की खारी बीट में जंगल की अवैध कटाई के मामले का मास्टरमाइंड था। इस मामले में निम्पानी और मंडीदीप से कुछ गिरफ्तारियां हुई थीं, लेकिन राजू तब से फरार था। अब, वन विभाग की टीम ने उसकी गिरफ्तारी में सफलता प्राप्त की है। गिरफ्तारी के बाद राजू को न्यायालय में पेश किया गया, जहां उसे सात दिन की रिमांड पर भेज दिया गया। वन मंडलाधिकारी उत्तर बैतूल, नवीन गर्ग ने कहा कि वन अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई लगातार जारी रहेगी। बैतूल के जंगल में की थी अवैध कटाई पिछले साल 18 अक्टूबर की रात को सागर जिले से सागौन की लकड़ी भेजने का ऑर्डर गिरोह को मिला था। इसके तहत, गैंग ने बैतूल के खारी बीट को निशाना बनाते हुए जंगल में अवैध कटाई की योजना बनाई थी। हालांकि, वन विभाग को मुखबिर से जानकारी मिल गई और मौके पर पहुंचने से पहले ही तस्कर अपनी खेप छोड़कर भाग निकले थे। इस दौरान पकड़ी गई लकड़ी का मूल्य लगभग 2 लाख रुपए था और यह लकड़ी अशोक लेलैंड ट्रक में लोड की गई थी। गैंग की संरचना और तस्करी के तरीके गिरोह में अलग-अलग भूमिका निभाने वाले कई सदस्य शामिल थे। कुछ लोग रास्तों की रेकी करते थे, जबकि अन्य पेड़ काटने का काम करते थे। इस गैंग के सदस्यों के पास डिजिटल उपकरण भी थे, जिनकी मदद से वे तस्करी के दौरान वन विभाग और पुलिस की गतिविधियों पर नजर रखते थे। मोबाइल लोकेशन और कॉल डिटेल रिकॉर्ड से यह पुष्टि हुई कि पकड़े गए आरोपी घटनास्थल के पास मौजूद थे। अंतरराज्यीय तस्करी का खुलासा राजू वाड़ीवा के मोबाइल फोन से यह भी पता चला कि उसके नेटवर्क में अन्य राज्य से भी लकड़ी की आपूर्ति के ऑर्डर आते थे। इसके जरिए तस्करी के इस बड़े गोरखधंधे का खुलासा हुआ, और वन विभाग ने इसकी जड़ तक पहुंचने के लिए अपनी कार्रवाई जारी रखी। वन विभाग के अधिकारियों ने इस गिरफ्तारी को एक बड़ी सफलता बताया है और कहा है कि वे ऐसे वन अपराधियों के खिलाफ और भी कड़ी कार्रवाई करेंगे ताकि वन्य जीवन और पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सके।

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