छत्तीसगढ़ के तीन बड़े सरकारी अस्पतालों सिम्स, डीकेएस और डॉ. भीमराव अंबेडकर मेमोरियल अस्पताल रायपुर की व्यवस्था को लेकर तीनों अस्पतालों के डीन ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया है। 7 मई और 20 मई 2025 के आदेश के बाद तीनों अस्पतालों के डीन और अधीक्षकों ने हलफनामे के जरिए अपनी-अपनी व्यवस्थाओं और सुधारों की जानकारी दी। हाई कोर्ट ने कहा कि निगरानी अब भी जारी रहेगी और 18 अगस्त को फिर से विस्तृत रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। सिम्स में व्यवस्था में कई बदलाव, ई-हॉस्पिटल लागू की सिम्स की तरफ से बताया गया कि अस्पताल में ई-हॉस्पिटल सिस्टम लागू की गई है जिससे रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया आसान हो गई है। एमआरडी के पास मरीजों के लिए निर्देश बोर्ड भी लगाए गए हैं। विश्व रक्तदाता दिवस पर 42 यूनिट खत संग्रहित किया गया। संस्थान को एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस रोकथाम प्रोग्राम के लिए केंद्र सरकार से मान्यता मिली है। संक्रमण नियंत्रण समिति को सशक्त किया गया है। वाट्सएप ग्रुप बनाकर स्वच्छता और सुरक्षा की निगरानी की जा रही है। नियमित शाम और रात की विजिट भी अब एमएच और वरिष्ठ डॉक्टर कर रहे हैं। मरीजों के लिए दवा वितरण केंद्र का विस्तार किया गया है। जीनो लैब स्थापना का प्रस्ताव भेजा गया है। अंबेडकर में नई धर्मशाला का प्रस्ताव अंबेडकर अस्पताल ने बताया कि को पास दिया जा रहा है, जिससे मरीजों के साथ एक परिजन वे इलाज के दौरान मरीज के साथ रह सकें। मिलने के लिए तय समय की सूचना वार्डों में नोटिस के रूप में चिपकाई गई है। मरीजों के परिजनों के लिए आयुष्मति भवन में निशुल्क आवास सुविधा उपलब्ध है। वहीं बित्री बाई धर्मशाला में प्रतिदिन 100 रुपए में रहने व भोजन की सुविधा मिल रही है। नई धर्मशाला के लिए 12.82 करोड़ का प्रस्ताव तैयार है। डीकेएस में नए निर्माण के लिए भेजा गया प्रस्ताव डीकेएस अस्पताल की तरफ से बताया गया कि मरीजों के साथ एक परिजन को वार्ड में और एक को निवास हॉल में ठहरने की सुविधा दी जा रही है। 6000 स्क्वेयर फीट का हॉल है, जिसमें कूलर, पंखे, टॉयलेट, पीने का पानी उपलब्ध है। ‘दाई कोरा’ भवन में 16 बेड और नए मड़िया निवास के निर्माण का प्रस्ताव भेजा गया है। तालाब में डूबने से 4 बच्चों की मौत, मांगा जवाब बिलासपुर में बच्चों की सुरक्षा से जुड़े दो मामलों पर हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। मुख्य सचिव को 29 जुलाई तक शपथ पत्र देने के निर्देश दिए गए हैं। सोमवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने कहा कि राज्य सरकार भले ही सीधे इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार न हो, लेकिन बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है। पहली घटना जांजगीर-चांपा के भैंसतारा गांव की है। स्कूल से लौटने के बाद नहाने गए चार बच्चे स्कूल बैग रखकर खेलने निकले थे, लेकिन गहरे घाटोली डबरी तालाब में उतरने के बाद बाहर नहीं आ सके। ग्रामीणों ने जब शव तैरते देखे तो चारों को बाहर निकाला गया, लेकिन तब तक चारों की मौत हो चुकी थी। वहीं, दूसरी घटना कांकेर जिले की है, जहां केसलपारा गांव के बच्चे कमर तक पानी में चलकर रोज स्कूल जाते हैं। गांव में सिर्फ प्राइमरी स्कूल है, मिडिल स्कूल के बच्चों को कनागांव जाना पड़ता है। बीच में एक गहरा और खतरनाक नाला है। बारिश के पानी अधिक होता है, ऐसे में बच्चों का स्कूल पहुंचना किसी जोखिम से कम नहीं। ग्रामीणों ने कई बार पुल निर्माण की मांग की, लेकिन अब तक केवल आश्वासन ही मिला है। हाई कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को अगली सुनवाई 29 जुलाई से पहले व्यक्तिगत हलफनामा देने को कहा है।