भास्कर न्यूज | अमृतसर अमृतसर पुलिस की एक छोटी-सी कार्रवाई ने फार्मा सेक्टर में छुपे एक बड़े नशा रैकेट की परतें खोल दी हैं। ए-डिवीजन थाना में सिर्फ 35 ट्रामाडोल गोलियों के साथ पकड़े गए एक लोकल पैडलर से शुरू हुई जांच, उत्तराखंड के रुड़की में मौजूद फार्मा यूनिट तक जा पहुंची। नतीजा 74,465 ट्रामाडोल गोलियां, 325 किलो कच्चा माल, और 7.69 लाख की ड्रग मनी बरामद हुई और 6 लोग काबू किए गए। मामले ने सिर्फ एक ड्रग रैके का पर्दाफाश नहीं किया, बल्कि इस बात पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं कि जिन दवाओं पर “सरकारी सप्लाई-बिक्री के लिए नहीं’ लिखा होता है, वे आखिर बाजार में कैसे पहुंच रही हैं? आरोपियों में ल्यूसेंट बायोटेक के प्लांट मैनेजर हरी किशोर, रीकॉल लाइफसाइंसेज के मालिक बिक्रम, मनीष कुमार अरोड़ा, पूर्ण जाटव और कत्थूनंगल का मेडिकल स्टोर चलाने वाला कुलविंदर सिंह उर्फ किंदा शामिल हैं। पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर के मुताबिक, इस ड्रग नेटवर्क से जुड़े और कई लोग पहचाने जा चुके हैं, जिनकी गिरफ्तारी के लिए कार्रवाई जारी है। शुरुआत हुई अमृतसर के कथूनंगल के रविंदर सिंह उर्फ निक्का की गिरफ्तारी से, जो ट्रामाडोल की गोलियों के साथ पकड़ा गया था। पुलिस ने जब सप्लाई चेन की कड़ियों को जोड़ना शुरू किया, तो यह मामला सीधा फार्मा कंपनियों तक जा पहुंचा। इसके बाद पुलिस ने 15 दिन में 74,465 ट्रामाडोल गोलियां, 50 एल्प्राजोलम गोलियां, 325 किलो ट्रामाडोल का कच्चा माल, 7.69 लाख रुपये नकद बरामद किए। पूछताछ में आरोपी हरी किशोर ने कबूला कि ट्रेकेमआई-100 ट्रामाडोल टैबलेट्स की स्ट्रिप्स पर उसने खुद -गवर्नमेंट सप्लाई ओनली-नॉट फोर सेल -लिखवाया था। यह स्टॉक सरकारी आपूर्ति के नाम पर बनाया गया था, लेकिन उसे गैरकानूनी रूप से रीकॉल लाइफसाइसेंज को बेच दिया गया। अमृतसर पुलिस और ड्रग इंस्पेक्टरों की संयुक्त टीम ने हरिद्वार जिले के रुड़की में फार्मा यूनिट पर छापा मारा। वहां से 4,130 बिना लेबल की ट्रामाडोल गोलियां और 325 किलो बिना रजिस्ट्रेशन का कच्चा माल मिला। डीजीपी गौरव यादव ने साफ कहा कि इस मामले में सबसे चिंता की बात यह है कि सरकारी आपूर्ति वाली दवाएं बाजार में बिक रही हैं। यह गंभीर गड़बड़ी और सिस्टम में बड़ी चूक को दर्शाता है। जिन यूनिटों पर शक है, उन्हें सील किया जा चुका है और उनका रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है।